सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के रामचरित मानस पर बयान से संत समाज में नाराजगी है। प्रयागराज में विश्व हिंदू परिषद (VHP) के सम्मेलन में आए भैरव दास उर्फ कोतवाल बाबा ने कहा, ”स्वामी प्रसाद मौर्य गाजर-मूली बेचने वाले हैं, उन्हें रामचरित मानस, वेद और पुराण का महत्व कैसे मालूम होगा। उन्हें देश में रहने का कोई अधिकार नहीं है, उन्हें पाकिस्तान भेज देना चाहिए।”
आस्था और संस्कृति को ठेस न पहुंचाएं
कोतवाल बाबा ने धीरेंद्र शास्त्री का विरोध कर रहे लोगों को चेतावनी दी। कहा, हिंदुओं की आस्था और संस्कृति को ठेस न पहुंचाएं नहीं, तो साधु-संतों को मजबूर होकर धर्म रक्षा के लिए शस्त्र उठाना पड़ेगा।”
मौर्य को भगवान सद्बुद्धि दें- वासुदेवानंद
स्वामी वासुदेवा नंद सदस्वती ने कहा, ”रामचरित मानस हमारा राष्ट्रीय ग्रंथ है। महर्षि वाल्मीकि जैसे महापुरुष और गोस्वामी तुलसीदास जैसे संत द्वारा रचित महाकाव्य पर बैन नहीं लगाया जा सकता। जो महापुरुष ऐसा बोल रहे हैं, भगवान उन्हें सद्बुद्धि दें। अगर वह अपने को इससे अलग कर लें, तो उनके लिए अच्छा ही होगा।”
शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती बोले- धर्मांतरण हिंदू समाज के लिए सबसे बड़ी चुनौती
सम्मेलन में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने कहा कि आज धर्मांतरण हमारे धर्म के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। हमें अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए सजग रहना चाहिए। हिंदू समाज सहनशील है, धैर्यवान है, लेकिन उसके धर्म के अस्तित्व पर जब संकट खड़ा होगा, तो उसका जवाब देने में भी सक्षम हैं।
उन्होंने कहा कि आज हिंदू समाज के अस्तित्व के मठ मंदिरों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। प्रयागराज द्वादश माधव के स्थानों को भी सुरक्षित किए जाने की जरूरत है। संतों का आह्वान करते हुए कहा विश्व हिंदू परिषद हिंदू धर्म और संस्कृति के लिए जो कार्य कर रहा है, उसमें वह अपने मठ और मंदिर छोड़कर उनके साथ निकले और उनके कार्यों में सहयोग प्रदान करें।
प्रयाग की धरा पर स्वीकार हुआ था विहिप का संविधान : चंपत
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महामंत्री चंपत राय ने कहा कि यह प्रयाग की वही पावन भूमि है जहां पर विश्व हिंदू परिषद की स्थापना के बाद से आज तक हिंदू समाज के सारे विषय के चिंतन और निर्णय इसी धरा पर हुआ है। वर्ष 1966 से लेकर आज तक पूज्य संत इसी पुण्य भूमि पर हिंदू समाज का मार्गदर्शन करते रहे हैं।
इसी भूमि से विश्व हिंदू परिषद का संविधान स्वीकार किया गया और जो हमसे भूले भटके छीन लिए गए उनको स्वीकार करके ऐसे समाज को अपने पूर्वजों की जड़ों से जोड़ने का कार्य हम 1966 से लगातार कर रहे हैं।
अब आपको बताते हैं स्वामी प्रसाद ने क्या कहा था…
4 दिन पहले समाजवादी पार्टी के MLC स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी रामचरित मानस को लेकर बयान दिया। मौर्य ने कहा- कई करोड़ लोग रामचरित मानस को नहीं पढ़ते। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। सरकार को रामचरित मानस के आपत्तिजनक अंश हटाना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।