नगर के टाउन हाई स्कूल में लगाए गए खादी मेला के मुख्य मंच पर जिला उद्योग केंद्र से बिहार स्टार्टअप नीति के बारे में जागरूकता कार्यक्रम चलाया गया। जिला उद्योग केंद्र के प्रभारी महाप्रबंधक और उप समाहर्ता बृजेश कुमार ने कहा कि पारंपरिक व्यवसाय से स्टार्टअप अलग होता है। आधुनिक टेक्नोलॉजी और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर नए उपभोक्ता वर्ग तैयार करने तथा अपनी कंपनी का आकार लगातार बढ़ाते रहने की इच्छा रखने वाले लोग अपना स्टार्टअप खोल सकते हैं। समाज और अर्थव्यवस्था की समस्याओं का गहन अध्ययन करते हुए उनके समाधान पर काम करना जरूरी है। नया नजरिया रखते हुए जब नया समाधान खोजा जाता है और उसे बिजनेस का रूप दे दिया जाता है तो वह स्टार्टअप बन जाता है। उन्होंने कहा कि फ्लिपकार्ट, जोमैटो, पेटीएम, मंत्रा आदि ऐसे स्टार्टअप हैं जिन्होंने अलग-अलग क्षेत्रों में नए समाधान की तलाश करते हुए और मार्केटिंग के नए सूत्रों को अपनाते हुए अपने बिजनेस का आकार बहुत बड़ा किया। प्रभारी महाप्रबंधक ने बताया कि बिहार स्टार्टअप नीति के तहत बिहार में पंजीकृत कंपनियों को 10 लाख तक के कैपिटल सीड फंड देने की व्यवस्था है। महिलाओं के स्टार्टअप को 5% अधिक सीड फंड दिया जाता है। इसी तरह अनुसूचित जाति एवं जनजाति संवर्ग और दिव्यांगों के स्टार्टअप को 15% अधिक सीडफंड दिए जाने का प्रावधान किया।
उद्योग लगाने के लिए दी जा रही वित्तीय सहायता
उन्होंने बताया कि वेंचर कैपिटलिस्ट से निवेश प्राप्त होने पर बिहार स्टार्टअप नीति के तहत 2% का प्रोत्साहन दिया जाता है। साथ ही 50 लाख तक का मैचिंग लोन भी बिहार स्टार्टअप नीति के तहत दिया जाता है। उन्होंने उपस्थित युवाओं से कहा कि लीक से हटकर चलें। सरकार मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग उन्नयन योजना, बुनकर मुद्रा योजना सहित अनेक योजनाओं के तहत उद्योग लगाने के लिए वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रही है।