परमेश्वर तुम्हारे हृदय और रूह को खोज रहा मानव, अस्तित्व में वो क्यों हैं जाने ना, फिर भी डरते हैं मृत्यु से.. जैसे विभिन्न मसीही गीतों को गाते और गुनगुनाते हुए रविवार को धूमधाम से शिशियापाड़ा चर्च से शोभायात्रा निकाली गई। क्रिसमस के त्योहार के उपलक्ष्य में धूमधाम से शोभायात्रा निकली।
शिशियापाड़ा स्थित मैथोडिस्ट चर्च से शोभायात्रा शुरू हुई। पास्टर जोनेथन ने बताया कि मुख्य अतिथि संत फिदेलिस चर्च के फादर जोन रोशन फरेरा और हाथरस के सेंट मार्च चर्च के फादर संतोष पांडेय ने शोभायात्रा की शुरूआत की। इसके बाद गाजे बाजे के साथ मसीही धुनों को बजाते हुए यह शोभायात्रा शहर के विभिन्न मार्गों से होकर गुजरी।
शोभायात्रा शिशियापाड़ा से शुरू होकर रेलवे रोड, पुराना बस स्टैंड, दुबे पड़ाव समेत विभिन्न मार्गों से होकर चर्च में आकर समाप्त हुई। इस मौके पर सैकड़ों की संख्या में इसाई समाज के लोग मौजूद रहे और प्रभु यीशु को याद करते रहे।
शोभायात्रा में सजाई गई मनमोहक झांकिया
क्रिसमस के उपलक्ष्य में हर साल शोभायात्रा का आयोजन किया जाता था। लेकिन पिछले दो सालों से कोविड के कारण त्योहार एहतिहात के साथ मनाया जा रहा था। अब जब कोरोना का असर लगभग खत्म सा है तो पूरे उत्साह के साथ शोभायात्रा निकाली गई।
शोभायात्रा में सजी झांकियां सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र रही और सभी का मन मोहती रही। इसमें सबसे आगे आदम और हवा की मनमोहक झांकी थी। क्योंकि इसाई समाज का मानना है कि प्रभु ने सबसे पहले हवा और आदम को बनाया। उसके पीछे प्रभु यीशु के जन्म की झांकी, फिर क्रूज और क्रिसमस ट्री की झांकी चल रही थी।
सांता बने बच्चे, लोगों ने ली सेल्फियां
शोभायात्रा के दौरान बड़ी संख्या में नन्हे मुन्ने बच्चे मौजूद थे, जो सांता का रूप बनाए हुए थे और प्रभु की शोभायात्रा में शामिल हुए थे। वह अपने मनमोहक रूप से सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। वहीं बच्चों के साथ युवा और बुजुर्ग भी यात्रा में शामिल हुए थे।
इस दौरान बड़ी संख्या में युवतियां भी मौजूद थी, जो पूरे उत्साह के साथ प्रभु यीशु के गीत गुनगुनाते हुए यात्रा में चल रही थी और बीच-बीच में सेल्फियां और फोटो खींच रही थी। इसाई समाज के लोग अपनी शोभायात्रा से समाज में शांति और प्रेम का संदेश देते हुए चल रहे थे।