कश्मीरी पंडित कर्मियों की सूची आतंकियों तक पहुंचने पर कर्मचारियों में डर का माहौल है। सोमवार को कर्मचारियों ने राहत आयुक्त कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर अपने डर और सरकार से प्रति नाराजगी को बयां किया। इस दौरान कर्मचारियों ने कहा कि हमारा डर सच साबित हो रहा है।
आतंकियों के पास हमारी सूची पहुंची है, हम कश्मीर में सुरक्षित नहीं हैं और बिना पुख्ता सुरक्षा के हम घाटी नहीं जाएंगे। कर्मचारियों ने कहा कि आतंकी हमें मारने की धमकी दे रहे हैं और सरकार हमारी बात नहीं सुन रही है। दो सौ दिन से भी ज्यादा समय से हम प्रदर्शन कर रहे हैं।
सरकार हमारा स्थानांतरण करने के बजाय हमें घाटी वापस बुला रही है। डीडीओ ने हमारा वेतन रोक दिया है। कर्मचारी छह महीने से बिना वेतन के हैं। इससे न सिर्फ कर्मचारी बल्कि पूरा परिवार प्रभावित हो रहा है। आतंकियों के धमकी भरे पत्र में जिन कर्मचारियों के नाम हैं, वे कश्मीर में ही तैनात हैं।
उनके कश्मीर में रहने का कारण सरकार की गलत नीतियां हैं। हर सरकार ने हमें राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया। देश में कही भी चुनाव हों, हमें वोट के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि जब तक हमारा स्थानांतरण जम्मू संभाग में नहीं होता, हमारा प्रदर्शन जारी रहेगा।
सरकार के लिए हमारी जान की कोई कीमत नहीं
सरकार और आतंकी संगठनों के पास हमारी सूची एक जैसी है। बिना सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत के हमारी जानकारी आतंकियों तक कैसे पहुंच सकती है। पहले आतंकी सूची जारी करते थे तो उसमें सिर्फ नाम होता था, लेकिन अब नाम, पता, कार्यस्थल की जानकारी है। ये हमारी सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है और सरकार को इस पर सोचना चाहिए। पत्रकारों को आतंकियों ने धमकी दी तो सरकार ने तत्काल जांच शुरू की लेकिन हमारे मामले में ऐसा नहीं है। लगता है सरकार के लिए हमारी जान की कोई कीमत नहीं है। -सतीश रैना
सरकार हमारी सुरक्षा को लेकर कभी भी संजीदा नहीं दिखी। कर्मचारियों की सूची आतंकियों तक पहुंच गई और सुरक्षा एजेंसियां कुछ नहीं कर रही हैं। आतंकियों द्वारा जारी की सूची की जब हमने जांच की तो उसे में ज्यादातर कर्मचारियों की जानकारी उचित मिली। सरकार में ही कुछ लोग हैं जो नहीं चाहते कि कश्मीरी पंडित सुरक्षित रहें। -योगेश पंडिता