जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय में अनुबंधित आधार पर सेवाएं दे रहे शिक्षकों को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमानुसार वेतन भत्ता नहीं मिल रहा है। शिक्षकों का कहना है कि वीसी ने एक समिति गठित की थी, ताकि वेतन बढ़ाने के बारे में विचार विमर्श किया जा सके, लेकिन अभी तक कितना वेतन बढ़ रहा है। इस बारे में कोई सूचना नहीं है। उनका कहना है कि सभी शिक्षकों का नेचर ऑफ जॉब एक है। नियुक्ति के लिए एक जैसे मानक और मानदंड तय किए गए हैं। फिर भी वेतन में भेदभाव किया जा रहा है। उन्होंने वीसी से 57700 रुपये वेतन देने की मांग की है।
शिक्षकों की नियुक्ति विश्वविद्यालयों में प्रति वर्ष यूजीसी के नियमानुसार की जाती है। लेकिन वेतन विश्वविद्यालय अपने अनुसार देते हैं। अनुबंधित आधार पर तेरह साल से सेवाएं दे रहे जम्मू विश्वविद्यालय के अस्थायी शिक्षकों का कहना है कि वेतन बढ़ाने के लिए उन्होंने वीसी प्रोफेसर उमेश राय से मुलाकात की थी। अनुबंधित शिक्षकों के अनुसार 2018 में वेतन 28000 रुपये वेतन था। इसे 2019 में बढ़ाकर 35000 रुपये किया गया, लेकिन उसके बाद वेतन बढ़ाने के बारे में विचार नहीं किया गया।
शिक्षकों का कहना कि वर्तमान समय में जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय दोनों में अस्थायी शिक्षकों को दो श्रेणियों में बांट दिया गया है। बिना नेट के पीएचडी के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को 30,000 रुपये वेतन मिल रहा है। पीएचडी और नेट दोनों पात्रताओं के आधार पर नियुक्त शिक्षकों को 35000 और नेट के आधार पर नियुक्त टीचिंग असिस्टेंट को 25000 रुपये वेतन दिया जा रहा है।
शिक्षकों ने कहा- SMVDU में अधिक मिल रहा वेतन
जम्मू विश्वविद्यालय के अस्थायी शिक्षकों का कहना है कि प्रदेश के श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कटड़ा में अस्थायी शिक्षकों का वेतन 70,000 से अधिक है। स्कॉस्ट जम्मू और श्रीनगर में 45000 रुपये है। दोनों केंद्रीय विश्वविद्यालय में 50000 रुपये अस्थायी शिक्षकों को सीटीसी वेतन दिया जा रहा है। वहीं अन्य राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के विश्वविद्यालयों में भी अस्थायी शिक्षकों को यूजीसी के नियमों के मुताबिक 57700 रुपये वेतन मिलता है। लेकिन जम्मू विश्वविद्यालय और कश्मीर विश्वविद्यालय में अस्थायी शिक्षकों के साथ अन्याय हो रहा है।
लेक्चरर के पद को असिस्टेंट प्रोफेसर में बदलने की मांग
अस्थायी शिक्षकों ने कुलपति उमेश राय और प्रदेश सरकार से मांग की है कि उनके लेक्चरर पद का नाम बदल कर असिस्टेंट प्रोफेसर रखा जाए, ताकि विश्वविद्यालय से जो उन्हें अनुबंध का अनुभव प्रमाण पत्र मिले, वह सहायक आचार्य के पद पर सेवाएं देने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि वह जम्मू विश्वविद्यालय के अलावा किसी अन्य विश्वविद्यालय में अनुभव प्रमाण पत्र का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। कई शिक्षकों ने कहा कि इग्नू और बाहरी विश्वविद्यालयों में सहायक आचार्यों के पद निकले थे। लेकिन सभी पात्रताएं होने के बावजूद उनके आवेदन पत्र को निरस्त कर दिया गया। जब उन्होंने संबंधित विश्वविद्यालयों से आवेदन पत्र निरस्त होने का कारण पूछा तो उन्हें जवाब मिला कि लेक्चरर के पद पर अनुबंध में रहे हो। आपका वेतन कम है। सहायक आचार्य के पद के लिए योग्य नहीं हैं। उन्होंने कहा कि उनके भविष्य को ध्यान में रखते हुए यूजीसी के नियमों का पालन किया जाए।
जनवरी से पहले मिलेगी खुशखबरी
जम्मू विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रोफेसर अरविंद जसरोटिया ने कहा कि अनुबंध आधार पर सेवाएं देने वाले शिक्षकों के वेतन को बढ़ाने के लिए समिति गठित की गई है। समिति ने उच्च अधिकारियों को रिपोर्ट सौंप दी है। आगे की प्रक्रिया जारी है। जनवरी से पहले उन्हें वेतन बढ़ने की खुशखबरी मिलेगी।