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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को लिखी चिट्ठी, नए वन नियमों को लेकर जताई आपत्ति

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झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने केंद्र के वन संरक्षण नियम 2022 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपनी आपत्ति जाहिर की है। सीएम सोरेन ने कहा कि स्थानीय ग्राम सभा की शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। हमारे अधिकारों को उखाड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। वन में रहने वाले समुदायों के साथ अन्याय करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने वन संरक्षण नियम 2022 में बदलाव लाने का आग्रह किया, ताकि देश में आदिवासी और वन समुदायों के अधिकारों की रक्षा करने वाली प्रणालियों और प्रक्रियाओं को स्थापित किया जा सके।

सोरेन ने खत में कहा कि नियम स्थानीय ग्राम सभा की शक्ति को खुले तौर पर कमजोर करते हैं। इससे लाखों लोगों, वनवासी समुदायों के सदस्य, खासकर आदिवासियों के अधिकारों को खत्म करने की कोशिश की गई है। नियमों ने गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए वन भूमि का उपयोग करने से पहले ग्राम सभा की पूर्व सहमति प्राप्त करने की अनिवार्य आवश्यकताओं को समाप्त कर दिया है। लोग इन पेड़ों को अपने पूर्वजों के रूप में देखते हैं, उनकी सहमति के बिना पेड़ों को काटना उनकी भावना पर कुठाराघात करने जैसा होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड में 32 प्रकार के आदिवासी रहते हैं, जो प्रकृति के साथ समरसतापूर्वक जीवन जीते हैं। इसलिए उन्होंने वन संरक्षण नियम 2022 के जरिए किए गए बदलाव से वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) 2006 के उल्लंघन को प्रधानमंत्री के संज्ञान में लाना अपना कर्तव्य समझा। देश में करीब 20 करोड़ लोगों की प्राथमिक आजीविका वनों पर निर्भर है और लगभग 10 करोड़ लोग वनों के रूप में वर्गीकृत भूमि पर रहते हैं।

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