अस्थायी नियुक्ति की जब अवधि खत्म हो जाए तो उसके बदले स्थायी नियुक्ति का दावा नहीं किया जा सकता। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधीकरण (सीएटी) ने इस दलील के साथ 150 पैरा मेडिकल कर्मियों की याचिका को खारिज कर दिया। इन लोगों को अकादमिक बंदोबस्त के लिए 2009 में नियुक्त किया गया था।
सीएटी सदस्य आनंद माथुर और डीएस माहरा वाली खंडपीठ श्रीनगर ने बुधवार को मामले से जुड़ी याचिका पर सुनवाई की। खंडपीठ ने महसूस किया कि आवेदकों का मुख्य तर्क यह है कि वे अपनी सेवाओं के नियमितीकरण के हकदार हैं, क्योंकि वे 2010 से काम कर रहे हैं।
शुरुआत में इनको एक साल के लिए नियुक्त किया गया था। इसके लिए उक्त कर्मियों ने अनुबंध पर हस्ताक्षर भी किए। हालांकि इसको प्रदर्शन के आधार पर छह साल भी किया जा सकता था। इसमें साफ था कि नियुक्ति सिर्फ अकादमिक बंदोबस्त के लिए है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से दायर आवेदन को खारिज करते हुए कैट ने देखा कि यह स्पष्ट है कि आवेदक 2009 के नियमों द्वारा शासित होते हैं, जो स्पष्ट रूप से बताते हैं कि आवेदकों की नियुक्ति शैक्षणिक व्यवस्था के आधार पर एक वर्ष की अवधि के लिए थी।
जिसे अधिकतम चार साल तक बढ़ाया जा सकता है। आवेदकों ने उत्तरदाताओं के साथ एक अनुबंध भी निष्पादित किया था कि वे अपनी सेवाओं के नियमितीकरण के लिए दावा नहीं करेंगे। इन दलीलों के साथ याचिका को खारिज कर दिया गया।