हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने यूजी के घोषित नतीजों में 80 फीसदी विद्यार्थियों के फेल होने पर हो रहे विरोध के बाद ऑन स्क्रीन मूल्यांकन प्रक्रिया को जांचा, लेकिन कोई खामी नहीं मिली। अब खराब परिणाम वाले कॉलेजों में 10 दिन में हर विषय की 50-50 उत्तर पुस्तिकाओं को ऑनलाइन चेक किया जाएगा। अधिष्ठाता अध्ययन प्रो. कुलभूषण चंदेल की अध्यक्षता में बनी जांच कमेटी ने चार घंटे तक खराब परिणाम वाले कॉलेजों के 300 छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं के सैंपल में से रेंडमली मूल्यांकन प्रक्रिया की पड़ताल की। इसमें तकनीकी स्तर पर कोई खामी नहीं मिली। कमेटी के अध्यक्ष प्रो. चंदेल ने कहा कि आरोपों को ध्यान में रखते हुए रेंडम चेकिंग में तकनीकी स्तर पर उत्तर पुस्तिका स्कैनिंग के अलावा यह देखा गया कि कोई प्रश्न बिना मार्किंग के तो नहीं रह गया।
अब कमेटी ने जांच आगे बढ़ाने के लिए अगला कदम तय कर दिया है। इसमें कमेटी 90 फीसदी से अधिक फेल विद्यार्थियों वाले कॉलेजों में से हर विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का अलग शिक्षक से मूल्यांकन करवाएगी। इसमें अधिक अंतर पाया गया, तो तीसरे शिक्षक से मूल्यांकन करवाया जाएगा। दूसरी और तीसरी चेकिंग की औसत देखी जाएगी। यदि इसमें और पहली ऑनलाइन जांची उत्तर पुस्तिकाओं में दिए अंकों में अधिक अंतर मिला तो अगला कदम तय किया जाएगा। जांच प्रक्रिया 10 दिन में पूरी होगी।
31 जनवरी से पहले पुनर्मूल्यांकन का परिणाम देगा विवि
एचपीयू प्रशासन ने पुनर्मूल्यांकन का परिणाम 31 जनवरी से पहले देने की समय सीमा तय की है। फर्स्ट कम फर्स्ट सर्व आधार पर एचपीयू इसका रिजल्ट देगा।
पुनर्मूल्यांकन वाले फेल विद्यार्थियों की द्वितीय वर्ष में जारी रहेगी पढ़ाई
प्रथम वर्ष में फेल विद्यार्थियों को पुनर्मूल्यांकन का परिणाम घोषित होने तक यूजी द्वितीय वर्ष की पढ़ाई जारी रखने की अनुमति रहेगी। इसके लिए उनसे एक शपथ पत्र लिया जाएगा। इस शपथ पत्र में विद्यार्थी को लिखकर देना होगा कि यदि पुनर्मूल्यांकन में वह पास नहीं होता है, तो उसे प्रथम वर्ष की ही परीक्षा देनी होगी।