मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों के मसले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सवाल किया कि आयुक्त पद पर नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की योग्यता का कोई जिक्र नहीं है। इसके जवाब में केंद्र सरकार ने कहा, कॉलेजियम की ओर से की जाने वाली जजों की तैनातियों के बारे में भी तो कुछ भी लिखित में नहीं है।
जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ की बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अदालत ऐसा कोई भी काम नहीं कर सकती, जिसे संसद को करना चाहिए। मेहता ने कहा, यह पूर्व धारणा कि केवल न्यायपालिका की उपस्थिति से ही स्वतंत्रता और निष्पक्षता प्राप्त होगी, यह संविधान का गलत पठन है। मेहता ने पीठ के इस विचार का विरोध किया कि मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए परामर्श प्रक्रिया में भारत के मुख्य न्यायाधीश को शामिल करने से चुनाव पैनल की स्वतंत्रता सुनिश्चित होगी। मेहता ने कहा, कार्यपालिका और न्यायपालिका की स्वतंत्रता समान रूप से पवित्र हैं। शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत अनुच्छेद-14 से उपजा है। नायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका, तीनों संविधान की दृष्टि में समान हैं।
पीठ : 2007 के बाद सभी मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल छोटा किया गया?
अटॉर्नी जनरल : हर नियुक्ति वरिष्ठता के आधार पर की जाती है। एक मामले को छोड़कर हमें आयोग में व्यक्ति के पूरे कार्यकाल को देखने की जरूरत है न कि सिर्फ सीईसी के रूप में। 2-3 उदाहरणों को छोड़कर पूरे बोर्ड में वह कार्यकाल 5 साल का रहा है।
पीठ : क्या आयुक्त के रूप में नियुक्ति का कोई तंत्र है और क्या सीईसी की नियुक्ति के लिए कोई प्रक्रिया है?
अटॉर्नी जनरल : यह परंपरा के आधार पर किया जाता है। सीईसी की अलग नियुक्ति प्रक्रिया नहीं है। आयुक्त के रूप में नियुक्ति होती है और फिर वरिष्ठता के आधार पर मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाता है।
जस्टिस जोसफ : चुनाव आयुक्त की तैनाती के समय सरकार को पता रहता है कि कौन कब और कब तक सीईसी बनेगा। जस्टिस अजय रस्तोगी ने भी टिप्पणी की कि सरकार निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करती है। वही तो मुख्य आयुक्त बनते हैं। ऐसे में ये कैसे कह सकते हैं कि वह स्वायत्त हैं क्योंकि नियुक्ति की प्रक्रिया स्वायत्तता वाली नहीं है। शुरु से ही स्वतंत्र प्रक्रिया हो।
अटॉर्नी जनरल : सीईसी की सीधी नियुक्ति का प्रावधान नहीं है।
जस्टिस जोसेफ : फिर तो देखना होगा कि आयुक्तों की नियुक्ति कैसे हो क्योंकि उन्हीं में से सीईसी बनते हैं। बताना होगा कि आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के जजों को शामिल करना चाहते हैं या नहीं? नियुक्ति प्रक्रिया पारदर्शी और आदर्श हो।