समुद्रतल से 17,490 फीट की ऊंचाई पर स्थित फ्रेंडशिप पीक में हिमस्खलन के कारण लापता शिमला के पर्वतारोही की तलाश अब रेको एवलांच रेस्क्यू डिवाइस से की जाएगी। एडवेंचर टूर ऑपरेटर एसोसिएशन (एटीओए) कुल्लू-मनाली की टीम आधुनिक साजोसामान के साथ फ्रेंडशिप पीक पर पहुंच गई है। पांच सदस्यों की टीम दो दिन बेस कैंप में रहेगी। हिमस्खलन वाले क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन के लिए रेको एवलांच रेस्क्यू डिवाइस की मदद ली जाएगी।
शिमला की चौपाल तहसील के अढशाला गांव का पर्वतारोही आशुतोष फ्रेंडशिप पीक में लापता हो गया है। शनिवार सुबह से उसका कोई पता नहीं चला है। उसकी खोज के लिए अब आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। मंगलवार को अटल बिहारी वाजपेयी पर्वतारोहण एवं खेल संस्थान की टीम ने ड्रोन के सहारे पर्वतारोही की तलाश की, दूसरी ओर रेको एवलांच रेस्क्यू डिवाइस लेकर एटीओए की टीम हिमस्खलन वाले क्षेत्र में पहुंच गई है। इसके सहारे बर्फ में दबे व्यक्ति तक पहुंचा जा सकता है।
एडवेंचर टूर ऑपरेटर एसोसिएशन के महासचिव प्रवीण सूद (पिंटू) ने बताया कि पांच सदस्यों की टीम आधुनिक सामान के साथ गई है। टीम के पास अपनी सुरक्षा के उपकरण हैं। सर्च ऑपरेशन के लिए जरूरी आधुनिक उपकरण भी साथ लिए हैं। रेको एवलांच रेस्क्यू डिवाइस इसमें सबसे महत्वपूर्ण है।
उनके अनुसार बर्फ में दबे व्यक्ति के मोबाइल को यह डिवाइस आसानी से डिटेक्ट कर लेता है। इसके सहारे बर्फ में दस से 15 फीट तक की गहराई में दबे मोबाइल का पता लग जाता है। रेस्क्यू टीम के पास रेस्क्यू के लिए जरूरी पर्सनल एवलांच सर्च एंड सेफ्टी गियर हैं। ट्रांसिवर, एवलांच शवल, एवलांच ट्रोव, क्रेपऑन, आईस एक्स, हार्नस, रोप, कैराविनर आदि उपकरण साथ लिए गए हैं।
क्या है रेको एवलांच रेस्क्यू डिवाइस
हिमस्खलन में पीड़ितों को खोजने के लिए रेस्क्यू टीम इस डिवाइस का उपयोग करती है। डिटेक्टर एक अत्यधिक दिशात्मक रडार सिग्नल भेजता है। संकेत एक परावर्तक यानी मोबाइल से टकराता है तो यह डिटेक्टर पर वापस प्रतिध्वनित होता है। यदि डिटेक्टर को परावर्तक की दिशा में इंगित किया जाता है तो लौटाया गया संकेत एक ऑडियो टोन में अनुवादित होता है। ऑडियो टोन के आधार पर रेस्क्यू टीम बर्फ दबे व्यक्ति का स्थान निर्धारित कर उसकी तलाश शुरू करती है।