भारतीय रसोई में अमचूर भी विशेष महत्व रखता है. यह एक ऐसा मसाला है जो पाचन सिस्टम को सुधारता है और एसिडिटी को कम करने में मदद करता है. कई खाद्य पदार्थों में तो इसके बिना स्वाद ही नहीं भरा जा सकता है. इस खट्टे मसाले का खट्टापन भी कुछ अलग तरह का है, जो इसे अन्य खट्टे पदार्थों से अलग करता है. भारत में हजारों सालों से उपयोग में लाया जा रहा है यह मसाला.
मुंह में डालते ही जुबान ‘चट-चट’ करने लग जाएगी
अमचूर (Dry Mango Powder) मुंह में डालते ही झनझनाहट पैदा कर सकता है. यह दांतों को तुरंत खट्टा कर देगा और जुबान अपने आप ‘चट-चट’ करने लग जाएगी. यह पूरे भारत की रसोई में अपनी दमदार उपस्थित दर्ज कराता है, उसका कारण यह है कि अमचूर भोजन में स्वाद और गंध को तो बढ़ाता ही है, साथ ही शरीर के लिए सुरक्षित है. इसलिए यह भारतीय व्यंजनों में प्रयोग किए जाने वाला एक प्रमुख मसाला है. दाल या हरी सब्जी में स्वाद भरना हो, यह तुरंत भर देगा. देश के मशहूर चटपटे व्यजंन समोसा और पकौड़ों को स्वादिष्ट बनाने में इसी का रोल है. फलों या सब्जी के सलाद के अलावा चटनी व अचार इसके बिना अधूरे हैं.
खाने में खटास लाने केलिए अमचूर का प्रयोग किया जाता है. Image-Canva
मटन, चिकन फिश और अन्य समुद्री जीवों को मेरिनेट करने के लिए यह सबसे शानदार मसाला है. नॉनवेज में असली स्वाद इसी से उभरता है. गोलगप्पों के लिए मसालेदार पानी इसी से रंगत पाता है तो चाट मसाला इसके बिना अधूरा है. दक्षिण भारत के मशहूर व्यंजनों सांभर आदि में जो लोग इमली का उपयोग नहीं करते हैं, उन्हें अमचूर रास आता है.
अमचूर क्या है? यह दरअसल खट्टे आमों को सुखाकर बनाया गया चूर्ण है. चूंकि आमों की उत्पत्ति 5 हजार वर्ष पूर्व भारत में ही हुई थी, इसलिए आमचूर के ‘आविष्कार’ का श्रेय भारत को ही जाएगा. मसाला प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान बनाने वाले व भारत की एग्मार्क लेब के संस्थापक निदेशक जीवन सिंह प्रुथी ने अपनी पुस्तक ‘Spcices And Condiments’ में जानकारी दी है कि पुराने समय में जब आंधी आने पर कच्चे आम झड़ जाया करते थे तो किसान उन्हें छील-काटकर उन पर हल्दी लगाकर सूखा देते थे और जब उन्हें भोजन के लिए खट्टे मसाले की जरूरत होती थी तो इसे पीसकर इस्तेमाल कर लिया जाता है. इस मसाले को बनाने के लिए किसी भी खास प्रकार के आम की जरूरत नहीं होती है.
अमचूर का अब इसका व्यावसायिक इस्तेमाल किया जा रहा है और इसका विभिन्न देशों में निर्यात भी खूब होता है और वहां इसकी खूब डिमांड है. आम का तो सीजन होता है, लेकिन अमचूर तो बारह महीने बिकता है. यह मसाला जीरा पाउडर, मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, सौंफ और सरसों के बीज सहित अन्य मसालों के साथ अलग ही रंगत और स्वाद पैदा करता है.
आहार को डिटॉक्सिफाइड करने के गुण हैं इसमें
वैसे तो अमचूर भोजन में स्वाद भरने वाला मसाला है. इसके बावजूद इसमें कई पोषक तत्व भी पाए जाते हैं. नवीन जानकारी के अनुसार इस मसाले में कैलोरी, कार्बोहाइड्रेट, सोडियम, कैल्शियम, फाइबर के अलावा विटामिन ए, ई और सी, और एंटीऑक्सीडेंट सहित कई पोषक तत्व होते हैं. कई आयुर्वेदिक दवाओं को तैयार करने में इसका उपयोग किया जाता है. फूड एक्सपर्ट व होमशेफ सिम्मी बब्बर के अनुसार अमचूर भारतीय रसोई के लिए जरूरी मसाला है. कुछ आहार ऐसे हैं, जिनमें अमचूर से ही स्वाद भरता है.
कब्ज और पेट संबंधी समस्या में भी लाभदायक है अमचूर. Image-Canva
यह पाचन में सुधार करता है और एसिडिटी से लड़ने में मदद करता है. यह कब्ज और पेट फूलने से लड़ने में मदद करता है. अगर किसी भोजन को पकाने से पहले उसमें अमचूर डालकर उबाल लिया जाए तो यह उसके रोगाणु खत्म कर देता है, साथ ही भोजन को डिटॉक्सिफाइड (विषाक्तता रोकना) भी कर देता है.
ज्यादा खाने पर गला चोक हो सकता है
इसका सेवन आंखों के लिए लाभकारी है, क्योंकि इसमें विटामिन ए विटामिन सी पाए जाते हैं. शरीर में हार्मोन उचित कार्य करते रहें, इसके लिए भी यह मददगार है. इसमें पाए जाने वाला विशेष तरह का खट्टापन दिल की धमनियों में फैट नहीं बढ़ने देता. चूंकि यह पाचन सिस्टम को दुरुस्त रखता है, इस कारण वजन नहीं बढ़ पाता. कारण यह कि शरीर में ऐसे तत्व जमा नहीं रह पाते जो वजन बढ़ाते हैं. इसमें एंटिऑक्सीडेंट वाले भी गुण हैं, इसलिए शरीर को आम बीमारियों से बचाने में सहायता करता है. इसका सेवन स्किन के लिए भी लाभकारी है, दूसरे यह मुंहासों से भी बचाता है. सामान्य तौर पर अमचूर का कोई साइड इफेक्ट नहीं है, लेकिन ज्यादा खाए जाने पर यह गले को चॉक कर सकता है. जिन लोगों को आम खाने से एलर्जी है, उन्हें भी अमचूर के सेवन से बचना चाहिए.