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बच्चों के मृत्यु दर का प्रमुख कारण समय से पूर्व जन्म : डा. आर. के धीमान

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दुनिया भर में, हर साल लगभग 15 मिलियन बच्चे समय से पहले जन्म लेते हैं। वैश्विक अनुमानों का 1/5वां हिस्सा भारत का है। इनमें से दस लाख से अधिक बच्चों की मृत्यु हो जाती है और कई आजीवन गंभीर स्वास्थ्य चुनौतियों का सामना करते हैं। समय से पूर्व जन्म वास्तव में एक समस्या है, जो हममें से किसी के साथ हो सकती है, भले ही हम किसी भी देश में रहते हों।

एसजीपीजीआई के निदेशक डा. आर. के. धाीमान ने कहा कि समय से पहले बच्चे का जन्म परिवारों के लिए एक गंभीर आघात है। यह स्थिति ऐसे कई परिवारों और अक्सर संघर्षरत हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों पर भी एक गंभीर वित्तीय बोझ डालती है। समय से पूर्व जन्म दुनिया भर में अंडर -5 मृत्यु दर का प्रमुख कारण है। समय से पहले जन्म के बारे में जागरूकता बढ़ाना इसे हराने का पहला कदम है।

इसी उद्देश्य से संजय गांधी पी जी आई में नियोनेटोलॉजी विभाग ने विश्व समयपूर्वता दिवस के अवसर पर एक वॉकथॉन का आयोजन किया।

इस कार्यक्रम में फैकल्टी, रेजिडेंट डॉक्टर, नर्सिंग ऑफिसर और अन्य पैरामेडिकल स्टाफ और उनके परिवारों सहित 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यक्रम की शुरुआत विभागाध्यक्ष डॉ. कीर्ति नारंजे के समय से पहले जन्म के वैश्विक बोझ के बारे में बोलने के साथ हुई।

वॉकथॉन को संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आर के धीमन ने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर गौरव अग्रवाल, प्रमुख, कार्डियोलॉजी विभाग, प्रोफेसर आदित्य कपूर, लेफ्टिनेंट कर्नल वरुण वाजपेयी, कार्यकारी रजिस्ट्रार और डॉ निरंजन कुमार सिंह, लखनऊ नियोनेटोलॉजी फोरम के अध्यक्ष की उपस्थिति में हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। प्रतिभागियों ने संस्थान के हॉबी केंद्र से लगभग 5 किमी का ट्रैक पूरा किया।

विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ. अभिषेक पॉल और डॉ. अभिजीत रॉय द्वारा आमंत्रित अतिथियों का अभिनंदन किया गया। नियोनेटोलॉजी विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ आकांक्षा वर्मा ने रंग-बैंगनी के महत्व को समझाया जो असाधारणता और संवेदनशीलता को दर्शाता है। यह बताता है कि समय से पहले जन्में बच्चे अद्वितीय और असाधारण होते हैं और इन बच्चों को संवेदनशील रूप से प्रबंधित करने की आवश्यकता होती है।

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