डेंगू बुखार का कहर बढ़ता ही जा रहा है। शहर में अब तक छह सौ अधिक लोग इसकी चपेट में आ चुके हैं। बीते 48 घंटे के दौरान 65 से अधिक डेंगू से पीड़ित मरीज बढ़े हैं। इसकी पुष्टि जीएसवीएम के माइक्रोबॉयोलाजी विभाग एवं उर्सला अस्पताल की पैथोलॉजी से नये डेंगू पॉजिटिव रिपोर्ट कर रही हैं।
हालात ऐसे हो चुके हैं कि आसपास जिलों के मरीजों की संख्या के आंकड़े एक हजार से पार हो चुकी है। नगर निगम और जिला प्रशासन की टीमें सक्रिय हैं। शुक्रवार को डेंगू जैसे संक्रमित रोगियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
महानगर क्षेत्र में संक्रमित बुखार ने अपना स्वरूप बदल लिया है। शरीर में नए तरीके से संक्रमण का तेजी से प्रहार शुरू कर दिया है। बीते कुछ दिनों से तेज बुखार के साथ ही जोड़ों व सिर एवं पूरे शरीर में दर्द हो रहा है। रोगियों की मांस-पेशियों के टूटने जैसी समस्या पैदा हो रही हैं। ऐसे संक्रमित मरीज खड़े होने की स्थित नहीं हो रही है। परिवार के सदस्य तत्काल अस्पताल में भर्ती करने के अतिरिक्त कोई दूसरा रास्ता नहीं रह गया है।
वायरल मायोसाइटिस से पीड़ित आ रहे मरीज
मेडिसिन विभाग के प्रो. जे.एस. कुशवाहा ने बताया कि हैलट की ओपीडी में ऐसे मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई हैं। जिसमें बच्चे, युवा और बुजुर्ग एवं कई महिलाएं भी इसकी चपेट में आ चुकी हैं। विगत दो ओपीडी में वायरल मायोसाइटिस के मरीज आ रहे हैं। उनकी मांस-पेशियों में तेज दर्द, सूजन से परेशान हैं। ऐसे मरीजों की क्रेटिनिन फॉसफोकाइनेस की जांच कराई जाती है। ऐसे रोगियों के खून का नमूना लिया जाता है। अधिक मात्रा पाए जाने पर संक्रमण की पुष्टि होती है। वायरल माइयोसाइटिस के मरीजों को स्टीरॉइड्स देनी पड़ती है। इसमें एंटीबायोटिक का रोल बिल्कुल नहीं है। ऐसे रोगों को स्वस्थ्य होने में एक सप्ताह से अधिक का समय लग जाता है।
चिकित्सकों की सलाह पर ही ले दवा,संक्रमितों पर हो रहा है शोध
चिकित्सकों का कहना है कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर न जाय। मुंह एवं नाक को सुरक्षित रखने के लिए मास्क का प्रयोग अवश्य करें। सैनिटाइजर का प्रयोग करें। चिकित्सकों की सलाह के वगैर दवाओं का प्रयोग न करें। इसमें एंटीबायोटिक का इस्तेमाल घातक हो सकता है। कई बार प्लेटलेट्स कम होने की समस्या मिलती है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. संजय काला का कहना कि संक्रमण के बदलते स्वरूप को देखते हुए मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ इस पर शोध करेंगे। अस्पताल में भर्ती संक्रमितों पर शोध करने की तैयारी है। इससे बीमारी को रोकने के साथ ही लोगों के स्वस्थ रहने का रास्ता साफ हो सकेगा।