महबूब-ए-इलाही के नाम से दुनियाभर में मशहूर सूफी-संत हजरत ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया का 719वां सालाना उर्स 12 नवंबर से 16 नवंबर तक मनाया जाएगा। इसके मद्देनजर दरगाह प्रांगण में तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। दरगाह को खूबसूरती से सजाया जा रहा है और उर्स के दौरान अकीदतमंदों के हुजूम के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम भी किए जा रहे हैं।
कोरोना महामारी के बाद इस साल देश-दुनिया से बड़ी संख्या में जायरीन के शिरकत करने की उम्मीद जताई जा रही है। पड़ोसी देश पाकिस्तान से 147 जायरीन का प्रतिनिधिमंडल पहले ही दिल्ली पहुंच चुका है। उन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच पहाड़गंज के एक होटल में ठहराया गया है।
दरगाह हजरत निजामुद्दीन औलिया के चीफ इंचार्ज काशिफ निजामी ने हिन्दुस्थान समाचार को बताया कि ख्वाजा निजामुद्दीन औलिया का उर्स कोरोना महामारी के बाद इस वर्ष काफी धूमधाम से मनाया जा रहा है। कोरोना काल में उर्स समारोह बहुत ही सादगी से मनाया गया था। बाहर के लोगों को उर्स में आने की अनुमति नहीं थी लेकिन इस बार उर्फ समारोह में बड़ी तादाद में देश-दुनिया से जायरीन भाग लेने के लिए आने वाले हैं।
उन्होंने बताया कि उर्स में आने वाले जायरीन की सुविधा के लिए दरगाह प्रांगण में सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। 4 दिनों तक चलने वाले उर्स समारोह की शुरुआत 12 नवंबर को मगरिब की नमाज के बाद होगी। उर्स के दौरान हर साल की तरह दरगाह प्रांगण में कुरान ख्वानी, कव्वाली और दुआ आदि का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। दरगाह में आने वाले जायरीन के लिए लंगर की भी व्यवस्था की गई है।
दरगाह के इंचार्ज सैयद अनीस निजामी ने बताया है कि दरगाह के बाहर उर्स महल में भी उर्स के दौरान वीआईपी मेहमानों के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। उनका कहना है कि पाकिस्तान से आने वाले जायरीन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनके दरगाह आगमन पर सुरक्षा की चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है।