डेंगू बुखार का उपचार सम्भव है, बुखार से पीड़ित व्यक्ति तत्काल जांच कराकर अपना इलाज शुरू कराये। उक्त अपील जिलाधिकारी रविंद्र कुमार ने जनपदवासियों से की।
उन्होंने एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि स्वच्छता में ही भगवान बसते हैं। हमें भी स्वच्छता अपनाकर डेंगू से बचाव करने के साथ ईश्वर की पूजा करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत में हर साल डेंगू के मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। डेंगू के बुखार को हड्डी तोड़ बुखार के नाम से भी जाना जाता है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक होता है। मच्छर के द्वारा संचारित होने वाला यह बुखार कभी-कभी घातक भी सिद्ध होता है। इसके तीव्र लक्षण कभी-कभी कुछ समय बाद देखे या महसूस किए जाते हैं, हालांकि यदि इनकी समय पर पहचान कर ली जाये तब इससे बचाव या उपचार करने में मदद भी मिल सकती है।
जिलाधिकारी ने बताया कि अक्सर डेंगू के लक्षण सामान्य फ्लू या वायरल बुखार से मिलते-जुलते लगते हैं, इसलिए निम्न लक्षणों के आधार पर इनकी पहचान कर ली जानी चाहिए और सही पहचान के लिए तुरंत एक ब्लड टेस्ट करवा लें। सामान्य रूप से देखे जाने वाले डेंगू के लक्षण मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, शरीर पर पड़ने वाले लाल निशान जो थोड़े समय बाद ठीक होने के बाद पुनः वापस भी आ जाते हैं। तेज़ बुखार, बहुत तेज़ सिर दर्द, आंखों के पीछे दर्द, उल्टी आना और चक्कर महसूस होना।
जिलाधिकारी ने कहा कि यदि आप इनमें से कोई भी लक्षण महसूस करते हैं तब तुरंत सलाह के लिए डॉक्टर के पास जाएं और आवश्यक इलाज शुरू करवा दें। केवल एक अच्छा डॉक्टर ही डेंगू से बचाव के हेल्दी उपाय के बारे में आपको बता सकता है।
जिलाधिकारी ने जनपद वासियों को डेंगू से बचाव के उपाय के संबंध में बताते हुए कहा कि स्वच्छता में ही भगवान बसते हैं। पानी को किसी जगह इकठ्ठा न होने दें।किसी जगह पर रुके हुए पानी में मच्छर पनप सकते हैं और इसी से डेंगू भी फैल सकता है। जिन बर्तनों का लंबे समय तक इस्तेमाल नहीं होना हो उनमें रखे हुए पानी को नियमित रूप से बदलते रहें। गमलों के पानी को हर हफ्ते बदलते रहें। मेनहोल, सेप्टिक टैंक, रुकी हुई नालियां और कुएं आदि जगहों को नियमित रूप से चेक करते रहें।
उन्होंने डेंगू से बचाव के लिए नगर निकायों, नगर पालिका और नगर निगम में व्यापक साफ सफाई के लिए अभियान चलाए जाने के निर्देश दिए। उन्हाेंने एंटी लार्वा का छिड़काव के साथ ही फागिंग किए जाने के भी निर्देश दिए।