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रखें अपनी सेहत का ख्याल : लखनऊ में वायु गुणवत्ता सूचकांक बहुत खराब श्रेणी के करीब पहुंचा

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सर्दी की दस्तक होते ही हवा की सेहत नासाज होने लगी है। एक सप्ताह के अंदर हवा की गुणवत्ता की श्रेणी खराब में पहुंच गई है। लालबाग और तालकटोरा इलाके में तो वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) बहुत खराब श्रेणी के करीब पहुंच गया है। गोमतीनगर और अलीगंज जैसे इलाकों में भी हवा की सेहत खराब की श्रेणी में बनी हुई है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों को देखें तो शहर का औसत एक्यूआई 21 अक्तूबर को 164, 22 अक्तूबर को 175 और दीपावली की शाम (24 अक्तूबर) तक 137 रिकॉर्ड हुआ था। अब यह 200 के ऊ पर रिकॉर्ड हो रहा है। पिछले 48 घंटे में 26 अक्तूबर को 235 और 27 अक्तूबर को वायु गुणवत्ता सूचकांक 225 दर्ज हुआ। यह सीधे तौर पर हवा के खराब होेने का संकेत है। इसे देखते हुए यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) ने भी माइक्रोप्लान लागू करते हुए प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए कवायदें शुरू करा दी हैं।

ये खबर हमारे लिए क्यों अहम?
वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले एक सप्ताह में मौसम में तेजी से बदलाव आया है। रात के समय नमी भी लगातार बढ़ रही है। तापमान में भी रात के समय करीब तीन से चार डिग्री सेल्सियस की कमी आ गई है। इससे हवा में घुले सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले सूक्ष्म कण तेजी से छंट नहीं पा रहे हैं। इससे हवा की गुणवत्ता खराब हो रही है।

हम मॉर्निंग वॉक पर निकलते हैं, क्या करें
संघनन की वजह से जहरीले कण नहीं छंट पाते। तापमान में कमी व नमी की वजह से सुबह के समय संघनन का असर ज्यादा होता है। ऐसे में सुबह के समय हवा जहरीली रहती है। मुख्य पर्यावरण अधिकारी डॉ. रामकरन कहते हैं, ऐसे में सांस से जुड़ी दिक्कत वाले लोगों को मॉर्निंग वॉक से बचना चाहिए। उन्हें हल्की धूप होने के बाद ही मॉर्निंग वॉक पर जाना चाहिए। क्योंकि धूप होने के बाद हवा में मौजूद धूल व धुंध के कण छंट जाते हैं।

इस तरह से बिगड़ी हवा
तारीख औसत एक्यूआई

27 अक्तूबर 225
26 अक्तूबर 235
24 अक्तूबर 137
22 अक्तूबर 175
21 अक्तूबर 164

जानिए विभिन्न स्तर पर क्या मायने होते हैं वायु गुणवत्ता सूचकांक के
एक्यूआई हवा की गुणवत्ता

0-50 अच्छी
51-100 संतोषजनक
101 से 200 सुधरी हुई
201 से 300 खराब
301 से 400 बहुत खराब
401 से अधिक खतरनाक
इन बिंदुओं पर शुरू हुआ काम
– नगर निगम की स्मॉग गन से पेड़ों व सड़कों की धुलाई
– निर्माण साइट पर बिल्डिंग मैटेरियल ढकने व नियमित पानी का छिड़काव
– सड़कों को गड्ढामुक्त बनाने का काम
– सड़कों की रात के समय मशीनों से सफाई
– चौराहों पर वाहनों के रुकने के समय में यथासंभव कटौती
(जैसा कि यूपीपीसीबी के क्षेत्रीय अधिकारी आरसी शुक्ला ने बताया।)

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