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भारत की माननीया राष्ट्रपति ने बेंगलुरू में दक्षिणी क्षेत्र के आईसीएमआर- नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का शिलान्यास किया

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माननीया राष्ट्रपति ने कहा, “मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने प्रभावी कोविड प्रबंधन के लिए अनुकरणीय सहायता प्रदान की है और अपने अनुसंधान बुनियादी ढांचे का विस्तार कर रही है। इसके अलावा पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) भी विषाणु विज्ञान के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को बढ़ाने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है। यह जानकर अच्छा लगा कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी को विश्व स्वास्थ्य संगठन की सहयोगी प्रयोगशालाओं में से एक के रूप में नामित किया गया है। विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में मांगों को पूरा करने के लिए पूरे देश में क्षेत्रीय परिसरों के माध्यम से नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी का विस्तार प्रशंसनीय है।”

भारत की राष्ट्रपति ने देश के “मानव इतिहास में देश में निर्मित टीकों के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान” की सराहना की। उन्होंने आगे कहा “महामारी से निपटने में हमारी उपलब्धियां कई विकसित देशों की तुलना में बेहतर रही हैं। इस उपलब्धि के लिए हम अपने वैज्ञानिकों, डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स और टीकाकरण से जुड़े कर्मचारियों के आभारी हैं।”

डॉ. भारती प्रवीण पवार ने भारत की माननीया राष्ट्रपति के हाथों बेंगलुरू में एनआईवी-दक्षिण क्षेत्र का शिलान्यास करने को एक महान सम्मान बताया। उन्होंने आगे कहा, “माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने स्वास्थ्य क्षेत्र में तकनीक का लाभ उठाया है, जिससे किसी भी प्रकोप की शुरुआती चरण में जांच की जा सके और इसे रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जा सके। यह नया एनआईवी हमारी स्वास्थ्य रक्षा प्रणाली को मजबूत करने की दिशा में एक कदम आगे है।” उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत पूरे देश में जैव-सुरक्षा तैयारियों और महामारी अनुसंधान को मजबूत करने के लिए 4 क्षेत्रीय नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) सहित बहुक्षेत्रीय राष्ट्रीय संस्थानों और प्लेटफार्मों को स्थापित करने के लिए धनराशि की मंजूरी दी गई है।

केंद्रीय मंत्री ने समय-समय पर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट के मुद्दों से निपटने में एनआईवी की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आईसीएमआर- एनआईवी ने अपनी स्थापना से ही सार्वजनिक स्वास्थ्य महत्व के वायरल संक्रमणों के लिए त्वरित प्रतिक्रिया प्रदान करने के मामले में आगे बढ़कर नेतृत्व किया है। उन्होंने आगे कहा, “आईसीएमआर- एनआईवी ने संभावित एंटीवायरल दवाओं की जांच की, कई किट सत्यापन किए, बड़े पैमाने पर प्रशिक्षण के साथ नए निदान विकसित किए, जिसने भारत का पहला स्वदेशी टीका- कोवैक्सिन के निर्माण में योगदान दिया। इन प्रयासों ने देश को सार्स सीओवी-2 की शुरुआती प्रसार से निपटने को लेकर तैयार किया है। इसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आज पूरा विश्व अनुसंधान और विकास के लिए भारत की ओर देख रहा है।”

उन्होंने कहा कि “महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए उभरते खतरों को पहचानने और उनसे निपटने को लेकर पूरे विश्व में स्वास्थ्य प्रणालियों की कमजोरियों को उजागर किया है। इस संबंध में, बेंगलुरु में दक्षिण क्षेत्र का आईसीएमआर- एनआईवी प्रयोगशाला विभिन्न जोखिम समूहों के संक्रामक कारकों को संभालने में अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और विशेषज्ञता से युक्त होगी। यह भारत के दक्षिणी राज्यों में संक्रामक रोगों के क्षेत्रीय परिदृश्य की निरंतर निगरानी के लिए महत्वपूर्ण होगा। इस प्रकार यह प्रकोप-संभावित संक्रामक रोग कारकों की राष्ट्रीय निगरानी को मजबूत करने में योगदान देता है।

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