Search
Close this search box.

पशु चिकित्सकों ने उपचार करके 63 गायों का जीवन बचाया

Share:

पशुचिकित्सकों की कमी से जूझ रहा देश, 15-20 हजार गाय और भैंस पर है एक डॉक्टर

पशु पालन एवं डेयरी विभाग द्वारा श्राद्ध की अमावस्या पर गायों की असमय मृत्यु से बचाने की मुहिम रंग लाई। पिछले वर्षों की तुलना में तली हुई चीजे खाने से होने वाली मृत्यु दर में बहुत कमी आई है। पशु पालन एवं डेयरी विभाग ने सप्ताह भर पहले से ही मीडिया, कैंप, पम्पलेट, लाउडस्पीकरों पर अनाऊंसमेंट आदि के माध्यमों से लोगों को जागरूक करते हुए कहा कि अमावस्या को गायों को तली हुई चीजे खीर, पुरी आदि ना खिलायें। लोगों ने भी विभाग की अपील पर अमल किया और गायों को एसीडोसिस से बचाने मेें अपना सहयोग दिया।

भिवानी नगर परिषद ने भी तली हुई चीजे वार्ड के हिसाब से कैंटरों में इक्टठी करने का कार्य किया और गायों को मृत्यु का ग्रास बनने बचाया। पशु पालन विभाग के पशु चिकित्सक ने बताया कि उन्होंने अमास्या के दिन छुटटी वाले दिन भी सभी पशु अस्पतालों को खोलने के आदेश दिये थे। भिवानी के सभी पशु चिकित्सकों ने इन छुटिटयों मेें अपनी ड्यूटी को बखूबी निभाया व एसिडोसिस से पीडि़त 66 बीमार गायों का उपचार किया व 63 गायें ठीक हो गई। इस दौरान एसीडोसिस से एक भी गाय को मरने नहीं दिया गया। तीन गायों की एमरजेंसी सर्जरी (रूमनोटोमी) करनी पड़ी। सर्जरी में उनके पेट से कई किलो पोलिथिन व कचरा निकला। उन्होंने बताया कि दो गायों की मृत्यु पेट में पोलिथिन व कचरा होने की वजह से सास लेने में दिक्कत होने पर हुई है। अत: उन्होंने जनता से अनुरोध भी किया है कि लोग खुले में पोलिथिन व कचरा ना डाले ताकि इसके खाने से मासूम पशुओं की मृत्यु ना हो।

वही गौरक्षकों ने बताया कि वे करीबन 15 वर्षो से हर बार शहर में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को जागरूक करते है कि श्राद्ध की अमावस्या पर गाय को खीर, पुरी या तली हई चीजें ना खिलाए, क्योंकि इससे गाय को अफारा हो जाता है और गाय असमय मृत्यु की शिकार हो जाती है। लेकिन लोगों में अभी भी जागरूकता की कमी है। उन्होंने कहा कि जब लोग जागरूक होंगे, तभी गाय मौत से बच सकती है।

Leave a Comment

voting poll

What does "money" mean to you?
  • Add your answer

latest news