प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा कि भारतीय वन सेवा के अधिकारी संजीव चतुर्वेदी की ओर से केंद्र सरकार के मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर हुई कार्रवाई का ब्योरा मांगने का मकसद दबाव बनाना है। पीएमओ में डिप्टी सेक्रेटरी प्रवीण कुमार ने ये बातें हलफनामा के जरिए सुप्रीम कोर्ट को दी हैं।
हलफनामा में कहा गया है कि संजीव चतुर्वेदी जो सीधे तरीके से हासिल नहीं कर सकते थे, वे इस याचिका को दाखिल कर हासिल करना चाहते हैं। संजीव चतुर्वेदी ने 2017 में सूचना के अधिकार के तहत आवेदन देकर केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी है। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत यह भी पूछा है कि 2014 के बाद कितना काला धन लाया गया।
पीएमओ ने इन सूचनाओं को देने से इनकार करते हुए कहा था कि ये सूचनाएं नहीं दी जा सकती हैं क्योंकि वे सूचना की परिभाषा के तहत नहीं आती हैं। केंद्रीय मंत्रियों के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायतों पर कार्रवाई का ब्यौरा जुटाने से संसाधनों का नुकसान होगा। पीएमओ ने काला धन के मामले के जवाब में कहा कि अभी इसमें जांच चल रही है इसलिए सूचना नहीं दी जा सकती है।
31 जनवरी 2020 को कोर्ट ने प्रधानमंत्री कार्यालय को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। संजीव चतुर्वेदी की ओर से वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने याचिका दायर कर कहा है कि 2014 से 2017 के दौरान इन शिकायतों और उन पर की गई कार्रवाई की जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को दे।