450 वर्ष से अतिप्राचीन रामलीला का हरिशंकरी राम चबूतरे से बुधवार की देर शाम विधि विधान से शुभारंभ हुआ। अति प्राचीन रामलीला कमेटी हरिशंकरी के तत्वाधान में तुलसीदास रचित राम चरित मानस के आधार पर रामलीला मंचन का कार्यक्रम परंपरागत तरीके से चलेगा। वन्दे वाणी विनायकों आदर्श रामलीला मंडल, रायबरेली के कलाकारों द्वारा अति प्राचीन रामलीला चबूतरे पर धनुष मुकुट पूजन एवं नारद मोह लीला का सजीव मंचन किया गया। एसपी सिटी गोपीनाथ सोनी समेत अन्य अतिथियों द्वारा राम चबूतरे पर परंपरागत तरीके से आरती पूजन का कार्यक्रम भी किया गया।
बुधवार रात पहली लीला का मंचन नारद मोह तथा श्रीराम जन्म लीला का हुआ। दर्शाया कि देवर्षि नारद को कामदेव पर विजय प्राप्त करने का घमण्ड हुआ, शंकर जी के पास जाकर कामदेव पर विजय प्राप्त करने की बात कही। दोनों देवताओं के मना करने पर देवर्षि नारद भगवान विष्णु के पास जाकर बता दिया। भगवान विष्णु ने अपनी माया से लीला रचा श्रीनिवासपुर नामक नगर बसाया। राजा शीलनिधि ने अपनी पुत्री विश्वमोहिनी का स्वयम्बर रचाया था, जिसमें सभी राज्य के राजा तथा नारद पहुंचते हैं। शीलनिधि राजा ने देवर्षि नारद से अपनी पुत्री विश्वमोहिनी के भविष्यवाणी का आग्रह किया। नारद जी ने विश्वमोहिनी का हाथ देखते ही उस पर मोहित हो गये, तत्काल भगवान विष्णु के पास जाकर कहते हैं कि प्रभु आपन रूप देहू प्रभु मोहि आन भांति नहीं पाओ ओहि। हे प्रभु मैं विश्वमोहिनी से अपना शादी रचाना चाहता हूं आप अपना स्वरुप मुझे दे दें। नारद के बात को सुन करके भगवान विष्णु ने अपने भक्त के रक्षा करे हेतु जिससे मेरे भक्त में अहंकार का बीज न बोया जा सके। इसको देखते हुए भगवान विष्णु ने नारद को हर यानि बन्दर का रूप दे दिया। नारद जी बन्दर का स्वरूप पाकर उछलते कूदते हुए विश्वमोहिनी के स्वयम्बर में आ पहुँचे। विश्वमोहिनी वरमाला लिए स्वयम्बर में आती है। उधर भगवान विष्णु भी स्वयम्बर में उपस्थित हो गए। अपने पिता के आज्ञानुसार विश्वमोहिनी ने भगवान विष्णु के गले में वरमाला डाल देती है और भगवान विष्णु विश्वमोहिनी को लेकर अपने धाम के लिए चले जाते हैं। देवर्षि नारद ने अपना स्वरूप पानी में देखा तो बन्दर का रूप देखकर भगवान विष्णु को श्राप देकर विष्णुलोक से वापस लौटते हैं। नारद मोह का प्रसंग देखकर दर्शक भावविभोर हो गये।
इस दौरान मुख्यातिथि एसपी सिटी गोपीनाथ सोनी, सीओ सिटी गौरव कुमार सिंह, शहर कोतवाल तेज बहादुर सिंह, अध्यक्ष प्रकाश चन्द श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष विनय कुमार सिंह, मंत्री ओमप्रकाश तिवारी उर्फ बच्चा, लक्ष्मी नरायन, लवकुमार त्रिवेदी, बीरेश राम वर्मा (ब्रहमचारी), मयंक कुमार तिवारी, वरूण कुमार अग्रवाल, योगेश कुमार वर्मा शामिल रहे।