अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे बाघंबरी गद्दी मठ के पीठाधीश्वर महंत नरेंद्र गिरि की मौत के पीछे उनके शयन कक्ष में मिले नोटों से भरे बैग तो नहीं, इसे लेकर सवाल उठने लगे हैं। तीन करोड़ रुपये की गड्डियों से भरे दो बैग उस पलंग में बने दराज में पाए गए हैं, दिस पर महंत सोते थे। ये वो कक्ष है जिसे महंत की मौत के चार दिन दिन बाद सीबीआई ने पांच लोगों की मौजूदगी में सील किया था। ऐसे में चार दिन तक महंत के करीबियों की निगरानी में रहे उस कक्ष में कितने रुपये थे, यह गहरी जांच का विषय है।
महंत की मौत से एक दिन पहले ही मठ में हरिद्वार से बड़ी रकम लाए जाने की बात भी पुलिस अफसरों से लेकर मठ के पुजारी, सेवादारों तक से छिपी नहीं रही है। इन नोटों से महंत की मौत की कड़ियां इसलिए भी जुड़ती नजर आ रही हैं क्योंकि उनके कक्ष से लगे पीछे वाले हिस्से में स्थित विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय से होकर बाहर जाने वाले रास्ते तक को कवर करने वाले सारे कैमरे उस दिन खराब पाए गए थे।
बड़े महाराज के कक्ष में तीन करोड़ रुपये मिलने की बात सही नहीं है। इतनी बड़ी रकम मिलती तो मैं भंडारा करता। कक्ष में मिले जमीनों की रजिस्ट्री के कागज, वाहनों के कागजों के अलावा हिसाब की डायरी सीबीआई ने मुझे सुपुर्द किया है। अब मैं उसमें से अपने मतलब की चीजों का मिलान कर रहा हूं। एक साल बाद कक्ष खुलने से राहत मिल गई है। अब मैं उस कक्ष में शयन कर सकूंगा। – महंत बलवीर गिरि, पीठाधीश्वर, बाघंबरी गद्दी मठ
महंत नरेंद्र गिरि के शयन कक्ष की सील खोलते समय बृहस्पतिवार को चश्मदीदों को दूर रखा गया। सीबीआई ने महंत की मौत के चार दिन बाद जिन पांच लोगों की मौजूदगी में उनके शयन कक्ष को सील किया गया था, उनमें से दो अहम साक्षी बुलाए ही नहीं गए। आने वाले समय में इसे लेकर भी सवाल उठने से इंकार नहीं किया जा सकता।
महंत नरेंद्र गिरि के कक्ष की सघन जांच के बाद जिन सामानों की सीबीआई ने सूची बनाई थी, उनको पांच लोगों को मौजूदगी में सील किया गया था। इनमें दो सीबीआई के अफसरों के अलावा अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी, बड़े हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि और बाघंबरी मठ के मौजूदा पीठाधीश्वर बलबीर गिरि के नाम शामिल हैं।
इन तीन संतों और दो सीबीआई अफसरों को मिलाकर पांच लोगों के हस्ताक्षर से उस कक्ष को सील किया गया था, लेकिन बृहस्पतिवार को कमरा खोलते समय बड़े हनुमान मंदिर के व्यवस्थापक अमर गिरि और अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी मौजूद नहीं थे। पता चला कि इन दोनों संतों को बुलाना तो दूर, इसकी खबर तक नहीं दी गई।