असम के शिलांग में 15 असम राइफल में तैनात हवलदार बहादुरपुर गांव निवासी संतोष मौर्य की ड्यूटी के दौरान हृदय गति रुकने से मौत हो गई। जवान के मौत की सूचना परिजनों को मिलते ही शोक की लहर दौड़ गयी। जवान का पार्थिव शरीर बुधवार की सुबह सड़क मार्ग से गांव लाया गया। गांव में पहुंचने पर सेना की गारद ने सशस्त्र सलामी दी। इसके बाद बलुआघाट पर जवान का सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों समेत सैकड़ों लोगों ने जवान को श्रद्धांजलि दी। क्षेत्र स्थित बहादुरपुर निवासी व असम के शिलांग में सेना के 15वीं असम रेजिमेंट में हवलदार के पद पर कार्यरत संतोष मौर्या उम्र करीब 45 वर्ष का तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर बुधवार की दोपहर वाराणसी से 39 गोरखा ट्रेनिंग सेंटर के दर्जनों जवानों व सेना के वाहन से लेकर उनके पैतृक गांव पहुंचे। सेना के जवान का पार्थिव शरीर पहुंचते ही गांव सहित परिवार का माहौल गमगीन हो गया। महिला, पुरूष नौजवान ,राजनितिक दलों के नेताओं आदि ने पहुंच जवान को श्रद्धांजलि देने पहुंच गए। वाराणसी 39 जीटीसी के सेंटर कमांडर ब्रिगेडियर हुकुम सिंह बैंसला की तरफ से पार्थिव शरीर के साथ आए जवानों व अधिकारियों ने पुष्प चक्र अर्पित करने व मातमी धुन बजाकर जवान को अंतिम विदाई दी गई। जवान को मुखाग्नि उनके पुत्र नवीन मौर्या के देते ही सबकी आखें नम हो गई। इसके बाद जवान का अंतिम संस्कार नगर स्थित बलुआ गंगा तट पर पूरे सैनिक सम्मान के साथ किया गया।
जवान के अंतिम यात्रा में सैकडों लोग मौजूद रहे। वहीं सभी लोग ‘जब तक सूरज चांद रहेगा संतोष मौर्या का नाम रहेगा’, भारत माता की जय आदि के गगनभेदी नारे लगाते हुए चल रहे थे। जवान के पिता अयोध्या सिंह ने बताया कि उनके तीन पुत्रों में संतोष सबसे बड़े थे। उनके पुत्र के यूनिट के अधिकारियों ने बीते 11 सितंम्बर की शाम उन्हें सूचना दिया कि उनका पुत्र ड्यूटी के दौरान लंच के समय अचानक बेहोश होकर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें आर्मी हॉस्पिटल में ले जाया गया जहां उनकी मौत हो गयी। घटना की जानकारी होते ही पत्नी मंजू देवी, मां भूरिया सहित अन्य परिजनों का रो- रोकर बुरा हाल था। पिता ने बताया कि मृत जवान का एक पुत्र नवीन और दो पुत्रियां क्रमशः नेहा और प्रिया है जो अभी पढ़ते हैं। इस दौरान श्रद्धांजलि देने वालों में सुनीता सिंह, मन्नू सिंह, राजेश कुशवाहा सहित स्थानीय पुलिस प्रशासन के लोग मौजूद रहे।