उत्तर प्रदेश के 17 प्रमुख जिलों में फैली गोंड आबादी के लिए आरक्षण के दायरे का विस्तार भाजपा और संघ परिवार की खास रणनीति का हिस्सा है। लोकसभा चुनाव से पहले कम आबादी वाली जातियों की अहम मांगों को भाजपा पूरा करना चाहती है। इसके पीछे उसकी मंशा चुनाव में बेहतर नतीजे हासिल करना है।
बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में भाजपा को यूपी की 74 में से 61 जातियों के वोट मिले थे। मिशन-2024 की तैयारियों में जुटी भाजपा कोई चूक नहीं करना चाहती है। चुनाव से पूर्व पार्टी राज्य की छोटी-छोटी पार्टियों और जातियों को साधना चाहती है।
ताजा फैसले से भाजपा ने गोंड बिरादरी को बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। अक्सर ही जनजातियों में धर्म परिवर्तन भी देखने में आया है। इसको लेकर संघ परिवार शुरू से सजग रहा है। आदिवासियों के बीच सेवा कार्यों के साथ ही सरकार बनने पर उन्हें सुविधाएं दिलाना भी उसकी रणनीति का सदैव से हिस्सा रहा है।
यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद इन जातियों की मांगों को प्राथमिकता पर रखा गया। इसी तरह से प्रदेश में भाजपा सरकार ने 17 ओबीसी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करवाने के लिए कवायद शुरू कर दी है।
प्रस्ताव इस तरह से तैयार कराया जा रहा है, ताकि केंद्र इस पर सहमत हो जाए और संसद से इसे पारित कराया जा सके। हाल ही में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ओबीसी में शामिल 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की सभी अधिसूचनाओं को रद्द कर दिया था।