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NCR 359 करोड़ का ‘कवच’ करेगा ट्रेनों की हिफाजत, महाकुंभ से पहले पूरा हो जाएगा काम

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Prayagraj News :  ट्रेन।

ट्रेनों की आमने-सामने की टक्कर रोकने और सुरक्षित परिचालन के लिए उत्तर मध्य रेलवे का प्रयागराज मंडल महाकुंभ के पहले ‘कवच’ प्रणाली से लैस हो जाएगा। ट्रेन हादसों की संख्या शून्य करने एवं  रेलवे के मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट के तहत प्रयागराज मंडल में ‘कवच’ लगाने का कार्य कुल दो चरणों में होगा। कवच प्रणाली पर एनसीआर के प्रयागराज मंडल में कुल 358.91 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले चरण की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है जबकि दूसरे चरण की प्रक्रिया सप्ताह भर में होने की उम्मीद है।

भारतीय रेलवे द्वारा ‘कवच’ नाम की सुरक्षा प्रणाली तैयार की गई है। ताकि रेल हादसों को रोका जा सके। मार्च 2022 में ही रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव और चेयरमैन रेलवे बोर्ड वीके त्रिपाठी ने खुद इस तकनीक का परीक्षण किया था। इसके बाद ही तय हुआ था कि सबसे पहले इस प्रणाली का उपयोग दिल्ली-हावड़ा और दिल्ली-मुंबई रूट पर होगा। दिल्ली-हावड़ा रूट का आधा भाग प्रयागराज मंडल से ही गुजरता है। वर्ष 2025 की शुरूआत में संगमनगरी में महाकुंभ मेले का भी आयोजन है। इसी वजह से ‘कवच’ प्रणाली लगाए जाने की प्रक्त्रिस्या यहां तेज हो गई है। 

ऐसे काम करेगा कवच
रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन (आरडीएसओ) द्वारा विकसित इस प्रणाली को मेक इन इंडिया के तहत विकसित किया गया है। इसके तहत ट्रेनों को ट्रेन कोलिजन सुरक्षा प्रणाली से लैस किया जाएगा। रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेटिफिकेशन (आरएफएआई) उपकरणों से युक्त ट्रेनें हादसों से बच सकेंगी। ये सिस्टम यात्री रेल और मालगाड़ी ट्रेन दोनों में लगेंगे। पहला भाग स्टेशन पर तो दूसरा लोको इंजन में लगेगा। इस तकनीक में जब ऐसे सिग्नल से ट्रेन गुजरती है, जहां से गुजरने की अनुमति नहीं होती है तो इसके जरिये खतरे वाला सिग्नल भेजा जाता है।  साथ ही लोको पायलट अगर ट्रेन को रोकने में विफल साबित होता है तो फिर ‘कवच’ तकनीक के जरिए से अपने आप ट्रेन के ब्रेक लग जाते हैं और हादसे से ट्रेन बच जाती है।

दो चरण में होगा काम
पहला चरण : छिपियाना बुजुर्ग से कानपुर (लागत- 179.95 करोड़)
दूसरा चरण :  कानपुर से दीनदयाल उपाध्याय जं (लागत- 178.96 करोड़)

मथुरा-पलवल सेक्शन भी कवच से होगा लैस
उत्तर मध्य रेलवे आगरा मंडल का मथुरा-पलवल रेलखंड भी कवच से लैस होगा। इसके लिए रेलवे द्वारा कुल 30 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। दरअसल मथुरा-पलवल सेक्शन दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग का ही हिस्सा है।

कवच प्रणाली को लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है। यह मिशन रफ्तार का ही अभिन्न हिस्सा है। एनसीआर में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट की देखरेख में काम शुरू हुआ है। महाप्रबंधक प्रमोद कुमार लगातार इस प्रोजेक्ट की खुद मॉनीटिरिंग कर रहे हैं। पहले चरण का  टेंडर करनेक्स-केईसी कंसट्रक्शन को मिला है। – डा. शिवम शर्मा, सीपीआरओ, एनसीआर।

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