सुप्रीम कोर्ट ने हैदरपुरा मुठभेड़ में मारे गए अमीर माग्रे के पिता लतीफ माग्रे की बेटे का शव क्रब से निकालकर उसके अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपने की मांग को खारिज कर दिया। जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने यह आदेश सुनाया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अमीर माग्रे का परिवार उसकी कब्र पर इबादत कर सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अमीर माग्रे के परिवार को पांच लाख रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने कहा कि ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं आया है कि अमीर माग्रे के शव को गरिमा के साथ नहीं दफनाया गया। मृतक को गरिमा का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि हम याचिकाकर्ता की भावनाओं का सम्मान करते हैं लेकिन कोर्ट भावनाओं से नहीं बल्कि कानून से चलता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 29 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कहा था कि आतंक विरोधी कार्रवाई में मारे गए लोगों के शवों को सौंपने से कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ सकती है । उनके शव भी उनके गृहनगर से अलग दूसरे इलाकों में दफनाए गए हैं।
27 जून को सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख हाई कोर्ट निर्देश दिया था कि वो अमीर माग्रे के शव को क्रब से निकालकर उसके अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपने की मांग पर विचार करे। उसके बाद हाई कोर्ट ने याचिका पर विचार करते हुए शव को कब्र से निकालकर अंतिम संस्कार के लिए परिवार को सौंपने की इजाजत दी थी।
याचिका में कहा गया था कि याचिकाकर्ता लतीफ माग्रे का बेटा हैदरपुरा एनकाउंटर में मारा गया है। याचिकाकर्ता सेना का समर्थन करता है। चार लोगों को दफनाया गया था। इसमें से दो के शवों को बाहर निकालने की अनुमति दी गई। याचिका में मांग की गई थी कि याचिकाकर्ता को अपने बेटे का शव अंतिम संस्कार के लिए मिलना चाहिए।