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शालीमार बाग में ‘मिट्ठू टिक्की वाला’ पर चटपटे छोले के साथ आलू टिक्की का लें स्वाद,

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शालीमार बाग में 'मिट्ठू टिक्की वाला' पर चटपटे छोले के साथ आलू टिक्की का लें  स्वाद, VIDEO भी देखें - chole and aloo tikki try at mitthu tikkiwala in shalimar  bagh see

यह आलू की टिक्की-छोले का सालों पुराना रेस्तरां है. इसकी खासियत यह है कि यहां टिक्की के साथ मात्र चटनी ही नहीं दी जाती, बल्कि भरपूर मसालेदार ग्रेवी वाले छोले भी उड़ेंले जाते हैं. इनके ऊपर जो कुछ डाला जाता है, वह इस डिश का स्वाद और बढ़ा देता है. यह ठिया राजधानी में तब शुरू हुआ था, जब टिक्की फ्राई का चलन बढ़ने लगा था. यानी खासी पुरानी दुकान है. इसी विशेषता के चलते इलाके में इस टिक्की छोले के तीन आउटलेट खुले हुए हैं.

आलू टिक्की का स्वाद है लाजवाब

जब पुरानी दिल्ली के लोग दिल्ली में कहीं और आशियाना तलाश रहे थे, उस दौरान ही डीडीए ने शालीमार बाग कॉलोनी विकसित करना शुरू की. पुरानी दिल्ली के लोग यहां बसना शुरू हो गए. यह अस्सी के दशक का जमाना था. पुरानी दिल्ली में चाट पकौड़ी की बहार तो रहती ही है, उसी तरह का स्वाद इस कॉलोनी में भी दिलाने के प्रयास शुरू हो गए. बस मान लीजिए यह आउटलेट तभी का है और इसका नाम ‘मिट्ठू टिक्की वाला’ है. कॉलोनी के अंदर ही सिंगलपुर गांव के मेन मार्केट में इसका बोर्ड दूर से ही नजर आता है. वैसे तो इस रेस्तरां में खान-पान यानी खोमचे के और भी आइटम मिलते हैं, लेकिन जलवा तो इनकी टिक्की का है. पुरानी दुकान और पुराना स्वाद यहां लोगों को खींचकर लाता है.

यहां टिक्कियों को पहले गोल-गोल कर ऑयल में मंदी आंच पर सेंक कर एक तरफ रख लिया जाता है. ऑर्डर देने पर इन टिक्कियों को पहले मेशर से थोड़ा सा दबाया जाता है और एक बार फिर से ऑयल में धीमीआंच पर फ्राई किया जाता है. पिट्ठी से भरी यह टिक्कियां अलग ही खुशबू उड़ाती महसूस होती हैं. जब यह अच्छी तरह फ्राई होकर कुरकुरी हो जाती हैं तो उन्हें फोड़कर एक प्लेट में डाला जाता है. इन गरमा-गरम टिक्कियों के ऊपर मसालों से भरपूर ग्रेवी वाले छोले उडेंले जाते हैं. इनके ऊपर लाल मीठी चटनी और हरी तीखी चटनी का छिड़काव होता है.

इनके ऊपर मसालेदार कचालू को बिछाया जाता है, फिर ऊपर से कटी प्याज बिखेरी जाती है और अंत में पनीर के महीन टुकड़ों को डाला जाता है. चम्मच के साथ इस गरमा-गरम मसालेदार आइटम हो खाइए, मुंह में इन सभी का संगम एक अलग ही स्वाद को उभारता है. स्वाद इतना जबर्दस्त है कि प्लेट को खाली करने के बाद ही मन को चैन आता है.

40 साल से चल रही है दुकान

दो आलू की टिक्की की इस प्लेट की कीमत 100 रुपये है. आते रहिए और छोलों से सराबोर कुरकुरी टिक्की को खाते रहिए. इस रेस्तरां को आजकल गजेंद्र गुप्ता चला रहे हैं. वह बताते हैं कि सबसे पहले वर्ष 1980 में उनके पिताजी सुरेंद्र कुमार गुप्ता ने एएल मार्केट में रेहड़ी लगाकर कुरकुरी टिक्की बेचना शुरू किया. फिर गांव के बाहर मार्केट और उसके बाद कॉलोनी की सबसे बड़ी डीडीए मार्केट में भी एक आउटलेट खोल लिया गया. हम साबुत मसाले मंगाते हैं और गांव की ही चक्की पर उसे तैयार करते हैं.

इस दुकान का संचालन लगभग 4 दशकों से किया जा रहा है.

गांव से ही पनीर आता है. यानी सब कुछ एकदम फ्रेश. वह कहते हैं कि पुरानी दिल्ली के बाद असल टिक्की की शुरुआत हमारे परिवार ने ही की. जिनके मुंह हमारी टिक्की लगी हुई है, वह जब-तब आकर अपना मुंह चटपटा कर जाते हैं. रेस्तरां में सुबह 11 बजे कार्य शुरू हो जाता है और रात 11 बजे तक टिक्की व अन्य डिश खाई जा सकती है. शालीमार बाग व नेताजी सुभाष प्लेस मेट्रो स्टेशन थोड़ा दूर हैं. कोई अवकाश नहीं है.

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