वरिष्ठ पत्रकार पद्मपति शर्मा ने बताया कि महारानी एलिजाबेथ 27 फरवरी 1961 को प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के साथ काशी आई थीं। काशी नरेश महाराज विभूति नारायण सिंह ने उनकी मेजबानी की थी। क्वीन एलिजाबेथ बेंटले कार से रामनगर किले में पहुंची थीं। यह कार आज भी रामनगर किले में महफूज और किले का भ्रमण करने वालों के आकर्षण का केंद्र है।
रामनगर की सड़कों पर जनता ने ब्रिटेन की महारानी का काशी की परंपरा के अनुसार हर-हर महादेव के जयघोष से स्वागत किया था। महारानी ने शाही हाथी पर रामनगर की सैर भी की थी। उस दौर की तस्वीरें उन पुरानी और सुनहरी यादों की गवाह हैं। काशी नरेश ने ब्रिटेन की महारानी को गंगा में विहार के दौरान घाटों का दर्शन भी कराया था। मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं की उस वक्त की तस्वीरें बर्निंग घाट्स ऑफ काशी के शीर्षक से लंदन के अखबारों में छपी थीं।