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घर-घर पहुंचेंगी उपाधियां: काशी विद्यापीठ ने तैयार किया खाका, एडमिशन के साथ ही लिया जाएगा इतना शुल्क

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महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में अब दीक्षांत समारोह के बाद ही विद्यार्थियों के घर उपाधियां पहुंचेंगी। उपाधि के लिए विद्यार्थियों को चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन ने वर्तमान सत्र से इस नई व्यवस्था को लागू कर दिया है। इससे वाराणसी, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदौली, भदोही के 315 महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को भी सहूलियत होगी।

कुलाधिपति आनंदी बेन पटेल के निर्देशानुसार विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह के तत्काल बाद उपाधियां पंजीकृत डाक से घर बैठे उपलब्ध होंगी। जनसंपर्क अधिकारी डॉ. नवरत्न सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन दाखिले के समय ही उपाधि शुल्क दो सौ रुपये और 100 रुपये रजिस्टर्ड डाक व अन्य खर्चों के लिए जमा कराएगा। छात्रों को अपने घर का सही डाक पता और अभिभावकों का मोबाइल नंबर भी दर्ज कराना होगा। नए सत्र में दाखिले के साथ ही यह शुल्क सभी विद्यार्थियों को अनिवार्य रूप से देना होगा।

हर साल उत्तीर्ण होते हैं 97 हजार विद्यार्थी
विद्यापीठ से हर साल 97 हजार से अधिक विद्यार्थी अंतिम वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण करते हैं। चयनित मेधावी विद्यार्थियों को दीक्षांत समारोह के दौरान उपाधि प्रदान कर दी जाती है।

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ।
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ।
महाविद्यालय की पांच लाख उपाधि तैयार
विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2016 से 2021 तक पांच लाख से अधिक उपाधियों को तैयार कराया है और महाविद्यालयों को अपनी डिग्रियां ले जाने के लिए पत्र लिखा है। वाराणसी समेत पांच जिलों में विद्यार्थियों को महाविद्यालय से ही डिग्री मिल जाएगी।

नौ साल की डिग्री डिजी लॉकर में अपलोड
विद्यार्थियों की सहूलियत के लिए वर्ष 2012 से 2020 तक (नौ साल) की डिग्री डिजी लॉकर में अपलोड करा दी गई है। अब नैड (नेशनल एकेडमिक डिपॉजिटर) पोर्टल से विश्वविद्यालय-महाविद्यालयों के विद्यार्थी उपाधि डाउनलोड भी कर सकते हैं। विद्यापीठ के डिजिटल लॉकर से प्रमाणपत्रों के सत्यापन में भी सहूलियत होगी। छात्र कहीं से भी अपने प्रमाणपत्रों का सत्यापन ऑनलाइन करा सकेंगे।

छात्रों की उपाधियां अब वर्तमान सत्र से उनके घर पहुंचेंगी। नई व्यवस्था शुरू की गई है। विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से यह तय किया जा रहा है कि उपाधियों को जल्द से जल्द छात्रों तक पहुंचा दिया जाए। – प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति, काशी विद्यापीठ

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