अनंत चतुर्दशी के व्रत से सुख-सौभाग्य में बढ़ोतरी के साथ ही समस्त दोषों का शमन होता है। भगवान विष्णु की पूजा के बाद अनंत सूत्र धारण करने से श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। एक तरफ जहां गणपति को धूमधाम से विदाई दी जाती है तो वहीं दूसरी तरफ जैन धर्म के श्रद्धालु तीर्थंकरों का महामस्तकाभिषेक करते हैं।
ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार, भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को अनंत चतुर्दशी का महापर्व मनाया जाएगा। शुक्रवार को भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा का विधान है। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव का भी समापन होगा। रवि और सुकर्मा योग के कारण तिथि पर क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर विश्राम करने वाले भगवान विष्णु की पूजन से सर्व मनोकामना पूर्ण होगी। चतुर्दशी आठ सितंबर की रात 9.04 मिनट पर आरंभ हो गई और नौ सितंबर की शाम 6.08 मिनट तक रहेगी।
विमल जैन के अनुसार, प्रात: काल स्नान ध्यान के पश्चात आराध्य का पूजन कर अनंत चतुर्दशी के व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत के दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना होती है। इस दिन कच्चे सूत के धागे को 14 गांठ लगाकर हल्दी से रंगने के पश्चात विधिविधान से अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, पुष्प अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। इस सूत्र को अनंत सूत्र कहा जाता है। अनंत सूत्र को पुरुषों को दाहिने और महिलाओं को अपने बाएं हाथ की भुजा पर धारण करना चाहिए। 15वें दिन इसे गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए। शुचिता बरतें और नमक रहित भोज्य या फलाहार ग्रहण करें।
शहर में गणेशोत्सव समितियों के अलावा घर-घर में विराजे गणपति का विसर्जन भी शुक्रवार को होगा। देर रात तक घरों में और पूजन समितियों की ओर से तैयारियां चलती रहीं।
विसर्जन मुहूर्त
सुबह 6.30 से सुबह 10.44 बजे तक
दोपहर 12.18 से 1.52 बजे तक
शाम 5 से शाम 6.31 बजे