प्रस्तावित नई टाउनशिप नीति-2022 के माध्यम से सरकार ने जहां शहरों के सुनियोजित विकास का खाका तैयार है, वहीं, रियल एस्टेट सेक्टर में निवेशकों को कई तरह की सहूलियत देकर शहरी विकास को नया आयाम देने जा रही है। नई नीति में गुजरात, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश की तर्ज पर विकास कर्ताओं को बड़ी राहत देते हुए टाउनशिप योजना केलिए भूमि खरीदने पर स्टांप शुल्क में 50 प्रतिशत छूट देने का भी प्रावधान किया गया है।
इसके अलावा नई नीति में टाउनशिप के अंदर पड़ने वाली ग्राम समाज या सरकारी भूमि लेने की प्रक्रिया को भी सरल करने का प्रावधान किया गया है। यही नहीं, नई नीति में लैंड असेम्बली में सहयोग और भू-उपयोग परिवर्तन के प्रावधानों में भी बदलाव करना प्रस्तावित किया गया है। हालांकि इस नीति को अंतिम रूप सुझाव व आपत्तियों के निस्तारण के बाद किया जाएगा।
दरअसल सरकार की मंशा प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को प्रोत्साहित करने के साथ ही हर आय वर्ग के नागरिकों को उचित मूल्य पर आवास की सुविधा उपलब्ध कराना और शहरों का सुनियोजित विकास करना है। इसी उद्देश्य से सरकार ने नई टाउनशिप नीति तैयार करने के निर्देश दिए थे। इसी कड़ी में आवास विभाग ने यह नीति तैयार किया है।
नई नीति केलागू होते ही इंटीग्रेटेड टाउनशिप नीति-2014 स्वत: समाप्त मानी जाएगी। नई नीति में विकास कर्ताओं को कई तरह की सहूलियत दिए जाने का प्रावधान किया गया है। योजना के लिए भूमि खरीदने पर विकास कर्ता को स्टांप शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट मिलेगी। बशर्ते यह छूट लाइसेंस जारी होने के बाद खरीदी जाने वाली भूमि पर ही मिलेगी। यानि लाइसेंस जारी होने के पहले खरीदी गई भूमि पर यह छूट नहीं मिलेगी।
इसी तरह नई नीति में लैंड असेंबली (भूमि जुटाने) प्रक्रिया को भी सरल बनाया गया है। योजना के लिए विकासकर्ता को स्वयं खरीदनी होगी, लेकिन जरूरत पड़ने पर सड़क नेटवर्क व लिंक मार्गों के लिए विकास प्राधिकरण द्वारा भूमि का अर्जन कर उपलब्ध कराया जा सकेगा। पुरानी नीति में विकास कर्ताओं के लिए यह सहूलियतें नहीं थी।
नई नीति में विकास कर्ताओं को अब योजना के अर्न्तगत पड़ने वाले ग्राम समाज, सीलिंग और अन्य सरकारी भूमि के हस्तानांतरण के लिए शासन तक की भागदौड़ नहीं करनी पड़ेगी। ऐसी भूमि का हस्तानांतरण मंडलायुक्त केस्तर से ही हो सकेगा और यह काम अधिकतम 60 दिन के भीतर ही किया जाएगा। इसी प्रकार नई नीति में योजना के लिए एससी व एसटी जाति के लोगों की भूमि खरीदने के लिए डीएम से अनापत्ति लेने की व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है। इसी प्रकार यदि ऐसी भूमि को योजना से बाहर किया जा सकेगा, जो खरीदी नहीं जा सकती हैं।
बड़े व छोटे निवेशकों के लिए खुलेंगे रास्ते
प्रस्तावित नीति में टाउनशिप के लिए अधिकतम 500 एकड़ क्षेत्रफल की सीमा की बाध्यता को भी समाप्त कर दिया गया है। यानि कोई विकासकर्ता 500 से अधिक क्षेत्रफल में भी योजना शुरू कर सकता है। इस प्रावधान से ऐसे निवेशकों को लिए भी रास्ते खुलेंगे, जो 500 एकड़ से अधिक क्षेत्रफल में योजना शुरू करना चाहते हैं। वहीं, छोटे निवेशकों के लिए भी नई नीति में कई सहूलियतें दी गई है। नई नीति में न्यूनतम 25 एकड़ भूमि होने की बाध्यता को समाप्त करते हुए इसकी सीमा 12.5 एकड़ कर दिया गया है। 2 लाख से कम आबादी वाले शहरों में 12.50 एकड़ के क्षेत्रफल में भी टाउनशिप योजना को शुरू की जा सकेगी। यानि छोटे शहरों के सुनियोजित विकास का भी रास्ता खुलेगा।
कई प्रदेशों का किया गया अध्ययन
नई नीति का ड्राफ्ट करने से पहले आवास विभाग के अधिकारियों ने गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश की टाउनशिप नीतियों का अध्ययन किया है। इसी आधार पर नई नीति का ड्राफ्ट तैयार कराया है। जिसमें रियल एस्टेट क्षेत्र के निवेशकों के लिए कई तरह की सहूलियत दी गई है, वहीं कई पुराने प्रावधानों को सरल किया गया है।
विकास कर्ताओं को यह सहूलियत भी मिलेगी
– भूमि उपयोग परिवर्तन शुल्क में 25 से 50 और विकास शुल्क से 100 प्रतिशत छूट
– परियोजनाओं की स्वीकृति देने के लिए ग्रीन चैनल की व्यवस्था की जाएगी
– प्रत्यक्ष विदेश नीति (एफडीआई) के मुताबिक 100 प्रतिशत विदेशी निवेश कर सकेंगे
– टाउनशिप क्षेत्र में 50 प्रतिशत तक विस्तार की अनुमति ले सकेंगे
– टाउनशिप को स्थानीय निकाय को सौंपे जाने तक नहीं देना होगा सीवर व गृहकर
– परियोजना पूरा करने की अधिकतम अवधि 12 वर्ष होगी
– परियोजना रेरा में पंजीकृत परियोजना को नहीं देनी होगी परफारमेंस गारंटी