अपने विभिन्न मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे ईंट चिमनी भट्ठा के संचालक अब मजदूर को साथ लेकर सड़क पर उतरने को मजबूर हो गए हैं। अखिल भारतीय एवं बिहार ईंट निर्माता संघ के आह्वान पर आठ सितम्बर को समाहरणालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया जाएगा। इससे पहले जिले भर के ईंट भट्ठा संचालक एवं वहां काम करने वाले मजदूर ट्रैफिक चौक से समाहरणालय तक जुलूस भी निकाल लेंगे।
संघ के जिलाध्यक्ष अरविंद कुमार एवं सचिव बबलू कुमार ने बुधवार को कहा है कि बिहार सरकार एवं केंद्र सरकार को परेशानी से अवगत कराने के लिए बिहार के सभी जिलों में धरना-प्रदर्शन आयोजित की जा रही है। सरकार हमारी मांग पर गंभीरता पूर्वक विचार करे, जीएसटी में छह गुना बढ़ोतरी को दो प्रतिशत किया जाए, ग्रामीण निम्न एवं मध्यमवर्गीय ग्राहक जीएसटी देना नहीं चाहते, जो कार्यशील पूंजी से हमें देना पड़ रहा है। कोयला के मूल्य में तीन गुणा अप्रत्याशित बढ़ोतरी पर अंकुश लगाया जाए एवं कोल इंडिया लिमिटेड से बिहार राज्य माइनिंग कार्पोरेशन लिमिटेड को सब्सिडी दर से आवंटित कोटा एक लाख 40 हजार टन से बढाकर छह लाख टन हो, जी-3 उत्तम क्वालिटी का कोल ईंट निर्माताओं को दी जाए।
गंगा एवं अन्य नदियों से गाद और नहर के उड़ाही की मिट्टी ईंट निर्माताओं को अपने खनन खर्च पर उपलब्ध कराई जाय। सरकारी कार्यों में लाल ईंट का प्रतिबंध समाप्त किया जाए। लाल ईंट के सरकारी दर के शिथिलता को बाजार मूल्य के अनुरूप किया जाय। टैक्टर से माल ढुलाई को साढ़े सात टन के सरकारी आदेश के बाबजूद साफ्टवेयर में अनुपलब्धता को समाप्त कर साढ़े सात टन के भार परिवहन क्षमता का परमिट देने की व्यवस्था हो। बकाये माइनिंग टैक्स के जुर्माना एवं सूद दरों को रियायत कर राशि जमा करने का आदेश दिया जाय तथा किसी कारणवश अवैध हो चुके भट्टे को मुख्य धारा में शामिल होने का वैधता मिले। इन लोगों ने कहा कि बिहार में बैकार मजदूरों के रोजी-रोटी के एकमात्र साधन के इस व्यवसाय को सहयोग करना सरकार का समाज हितकारी कदम होगा।