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कालाजार से बचाव को लेकर सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव शुरू, 60 दिनों तक किया जाएगा छिड़काव

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छिड़काव दल के सदस्य

कालाजार उन्मूलन को लेकर जिले में सिंथेटिक पायराथायराइड का छिड़काव शुरू हो गया है। छिड़काव का काम 60 दिनों तक किया जाएगा। जिले के 14 प्रखंडों के 53 गांवों में छिड़काव किया जाना है। इसे लेकर छिड़काव कर्मियों को ट्रेनिंग भी दी गई है। ट्रेनिंग के दौरान छिड़काव कर्मियों को बताया गया है कि गांव के सभी घरों में छिड़काव करना है। घरों की दीवारों की छह फुट की ऊंचाई तक सिंथेटिक पायराथाइराइड का छिड़काव करना है।

ट्रेनिंग के दौरान प्रभावित गांव के घरों के अलावा गोशाला, बथान इत्यादि जगहों पर छिड़काव करने के लिए भी कहा गया है। उल्लेखनीय हो कि वर्ष 2022 के द्वितीय चरण के तहत छिड़काव अभियान चलेगा। हर हाल में अभियान का सफल संचालन सुनिश्चित कराने को लेकर निदेशक प्रमुख (रोग नियंत्रण) स्वास्थ्य सेवाएं, पटना डॉ. राकेश चंद्र सहाय वर्मा ने सभी जिले को पत्र भी लिखा है।

प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दीनानाथ ने बताया छिड़काव आरंभ करने को लेकर आवश्यक निर्देश संबंधित प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को दिया गया है एवं इससे संबंधित सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। अलग-अलग प्रखंडों में तैयार माइक्रो एक्शन प्लान के अनुरूप अधिकतम 60 दिनों तक छिड़काव चलेगा। साथ ही छिड़काव के दौरान दो सप्ताह या इससे अधिक दिनों के बुखार पीड़ित एवं दाग धब्बे वाले मरीजों की खोज की जाएगी। आवश्यकतानुसार जांच कराकर पॉजिटिव पाए जाने की स्थिति में समुचित उपचार कराया जाएगा।

कालाजार मरीज का उपचार जवाहरलाल नेहरू चिकित्सा महाविद्यालय अस्पताल में किया जाता है तथा पीकेडीएल की पुष्टि होने पर मल्टिप्रोसेसिंग दवा से प्रखंड स्तर पर भी उपचार हो जाता है। प्रभारी जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दीनानाथ ने बताया, छिड़काव के दौरान एक भी घर छूटे नहीं, इस बात का विशेष ख्याल रखा जाएगा। इसे लेकर छिड़काव टीम को भी आवश्यक और जरूरी निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा छिड़काव अभियान के दौरान सामुदायिक स्तर पर लोगों को कालाजार से बचाव के लिए आवश्यक जानकारी भी दी जाएगी।

इस दौरान कालाजार के कारण, लक्षण, बचाव एवं इसके उपचार की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। छिड़काव के दौरान किन-किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, ये भी लोगों को बताया जाएगा। वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी रविकांत ने बताया, कालाजार मरीजों की जांच की सुविधा जिले के सभी पीएचसी में नि:शुल्क उपलब्ध है। मरीजों को सरकारी अस्पतालों में इलाज कराने पर श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में सरकार द्वारा 7100 रुपये की राशि दी जाती है। पीकेडीएल मरीजों को पूर्ण उपचार के बाद सरकार द्वारा 4000 रुपये श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में दिये जाने के प्रावधान की जानकारी उन्हें दी जायेगी। साथ ही पॉजिटिव मरीजों का सहयोग करने पर प्रति मरीज 500 रुपये संबंधित आशा कार्यकर्ता को दी जाती है। 15 दिनों से अधिक समय तक बुखार का होना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। भूख की कमी, पेट का आकार बड़ा होना, शरीर का काला पड़ना कालाजार के लक्षण हो सकते हैं। वैसे व्यक्ति जिन्हें बुखार नहीं हो लेकिन उनके शरीर की त्वचा पर सफेद दाग व गांठ बनना पीकेडीएल के लक्षण हो सकते हैं।

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