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पुनीत को गणेश चतुर्थी पर फैंस ने अनोखे ढंग से दिया ट्रिब्यूट,बप्पा की मूर्ति के साथ की पूजा

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साउथ इंडस्ट्री के दिवंगत अभिनेता पुनीत राजकुमार की फैन फॉलोइंग में उनके निधन के बाद भी कमी आने का नाम नहीं ले रही है। सुपरस्टार जहां अपने फैंस के दिलों पर राज करते थे, वहीं उनके प्रशंसक भी अपने हीरो को आए दिन अलग-अलग तरीके से श्रद्धांजलि देते रहते हैं। जहां पिछले दिनों बेंगुलुरु के स्कूली बच्चों ने एलान किया था कि वे लोग पुनीत राजकुमार के नाम से सेटेलाइट लॉन्च करेंगे , वहीं गणेश उत्सव के रंगा-रंग कार्यक्रम के दौरान एक ऐसा नजारा दिखा जो सभी के आंखों में आंसू ले आया। गणेश उत्सव के दौरान भी अभिनेता पुनीत राजकुमार को एक विशेष ढंग से श्रद्धांजलि दी, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं।
पुनीत राजकुमार

साउथ सुपरस्टार पुनीत राजकुमार नहीं रहे लेकिन उनका स्टारडम आज भी उसी तरह से बना हुआ है। इस गणेश चतुर्थी, मूर्ति निर्माताओं और उनके प्रशंसकों ने उनकी स्मृति को जीवित रखने का एक विशेष तरीका खोजा। हाल ही में बंगलुरू के कई निवासियों ने भगवान गणेश की मूर्तियों के साथ दिवंगत अभिनेता पुनीत राजकुमार की प्रतिमा को भी खरीदते हुए देखा गया। पुनीत राजकुमार का पिछले साल 29 अक्टूबर को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। कई ब्लॉकबस्टर फिल्में देने वाले पुनीत राजकुमार को उनके फैंस दिल खोल कर प्यार करते है। कन्नड़ फिल्मों में उनके धमाकेदार प्रदर्शन के लिए उन्हें `पावरस्टार` के रूप में जाना जाता था।
पुनीत राजकुमार
पुनीत राजकुमार न केवल ‘अप्पू’ जैसी फिल्मों के स्टार थे, बल्कि वह एक सेलिब्रिटी टेलीविजन होस्ट और गायक भी थे। पुनीत राजकुमार को इस साल की शुरुआत में मैसूर विश्वविद्यालय द्वारा मरणोपरांत डॉक्टरेट की मानद उपाधि से भी सम्मानित किया गया था। पुनीत की पत्नी अश्विनी ने अपने दिवंगत पति की ओर से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी। इसके साथ ही अगस्त में, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने घोषणा की थी कि पुनीत राजकुमार को कन्नड़ राज्योत्सव के अवसर पर 1 नवंबर को ‘कर्नाटक रत्न’ पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
पुनीत राजकुमार
पुनीत राजकुमार फिल्मी पर्दे पर सुपरस्टार होने के साथ-साथ एक समाज सेवक भी थे। परोपकार और समाज सेवा में कोई भी पुनीत राजकुमार का मुकाबला नहीं कर सकता। अभिनेता ने जीवित रहते हुए 45 फ्री स्कूल, 26 अनाथालय, 16 वृद्धाश्रम और 19 गौशालाओं का शुभआरंभ किया था। ये सभी उनके मरणोपरांत भी सफलता पूर्वक चल रही हैं।  इसके अलावा उन्होंने 1800 अनाथ बेटियों की हायर एजुकेशन की जिम्मेदारी भी ले रखी थी।

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