जिले के सबौर प्रखंड के तटवर्ती इलाकों में बसे बाबूपुर मोड़ से करीब ढाई किलोमीटर पूरब की ओर बडेर बगीचा के दर्जनों बासा में पानी घुस जाने से मवेशी पालक प्रखंड परिसर में आ गए हैं।
पीड़ितों ने बताया कि वहां पानी आ जाने से आवाजाही करने में भी परेशानी हो रही है। एनएच के दोनों तरफ पानी जमा हो गया है। अंचल के आरओ और कर्मचारी प्रमोद पासवान ने बाबूपुर रजंदीपुर और अन्य गांव में बढ़ रहे पानी का जायजा भी लिया। उल्लेखनीय है कि गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ने से गंगा से सटे कई गांव जलमग्न हो गए हैं। सबसे खराब हालत सबौर प्रखंड के रजनदीपुर पंचायत के बगडेर की है।
गांव में 4 से 5 फीट पानी चल रहा है। घर बार जलमग्न हो गए हैं। ग्रामीण मचान बनाकर किसी प्रकार से रहने को मजबूर हैं। पिछले साल इस गांव में जब बाढ़ का पानी आया था तो लोग पेड़ों पर आशियाना बनाए थे। लेकिन इस बार पेड़ नहीं रहने के कारण लोग मचान बनाकर बाढ़ की विभीषिका से लड़ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक ना तो जिला प्रशासन ही देखने आया और ना ही कोई राजनेता। किसी प्रकार से जीवन यापन किया जा रहा है। लगातार बाढ़ के पानी बढ़ने को लेकर लोगों को डर है कि कहीं अगर मचान गिर गया तो क्या होगा। अभी प्रशासन की ओर से कोई सुविधा इन लोगों को नहीं दी गई है। लोग रुखा सूखा खाकर किसी तरह से मचान पर रहकर जीवन काट रहे हैं। जिलाधिकारी सुब्रत कुमार सेन ने बताया कि बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है। उसकी तैयारी की जा चुकी है। परंतु कई क्षेत्रों में गंगा का पानी घुस आया है। कई गांव के लोग गंगा के जलस्तर के बढ़ने के चलते परेशान हैं। उन्हें प्रशासनिक सहायता जल्द से जल्द पहुंचाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि इस बार अपने क्षेत्र में भयावह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी ऐसा अनुमान बताया जा रहा है। अगर भयावह बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है तो उससे लड़ने के लिए प्रशासन चुस्त और मुस्तैद है।