स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टरों (एलसीएच) की पहली स्क्वाड्रन पाकिस्तान से लगती पश्चिमी सीमा पर राजस्थान के जोधपुर में बनेगी। भारतीय वायु सेना ‘एयर फोर्स डे’ के अवसर पर अक्टूबर के पहले सप्ताह में अपनी पहली इकाई को औपचारिक रूप से बढ़ाने के लिए तैयार है। एचएएल से पहले बैच में मिलने वाले दस एलसीएच इस स्क्वाड्रन में शामिल किये जाएंगे। वैसे वायुसेना अधिग्रहित किए जाने वाले कुल 65 एलसीएच के हिसाब से स्क्वाड्रन बनाने की योजना पर काम कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सुरक्षा संबंधी कैबिनेट समिति (सीसीएस) ने 30 मार्च को 3,887 करोड़ रुपये की लागत से लिमिटेड सीरीज प्रोडक्शन (एलएसपी) वेरिएंट के 15 स्वदेशी हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर (एलसीएच) और 377 करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे को मंजूरी दी थी। एलएसपी के तहत वायु सेना और सेना के लिए पांच-पांच एलसीएच का उत्पादन करने के लिए एचएएल को कहा गया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक एलएसपी वेरिएंट में 10 हेलीकॉप्टर वायु सेना के लिए और पांच भारतीय सेना के लिए होंगे। वायुसेना के लिए 65 और सेना के लिए 114 एलसीएच हेलीकॉप्टरों की आवश्यकता बताई गई है।
भारतीय वायुसेना को पहले बैच में तीन हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर दे दिए जायेंगे। एलएसपी श्रृंखला के तहत सेना के लिए चार और वायु सेना के लिए दो एलसीएच का उत्पादन पूरा कर लिया गया है। शेष छह एलसीएच का उत्पादन अगले साल किया जाएगा। वायुसेना फिलहाल पुराने रूसी एमआई-25 और एमआई-35 अटैक हेलीकॉप्टरों का संचालन करती है, लेकिन बेड़े में 22 बोइंग एएच-64ई अपाचे अटैक हेलीकॉप्टरों के शामिल होने के बाद एक स्क्वाड्रन को चरणबद्ध तरीके से हटा दिया गया है। वायु सेना के एक अधिकारी ने बताया कि मौजूदा एमआई-35 स्क्वाड्रन को ओवरहाल के लिए भेजे जाने की प्रक्रिया में है।