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झारखंड में सियासी संकट देख हरकत में आई कांग्रेस, महागठबंधन के विधायकों को छत्तीसगढ़ भेजने का फैसला

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महाराष्ट्र में महाअघाड़ी सरकार की टूट से सबक लेते हुए झारखंड में गठबंधन सरकार को बचाने के लिये कांग्रेस नेतृत्व सक्रिय हो गया है। राज्य में महागठबंधन सरकार को बचाने के लिये केंद्रीय नेतृत्व के इशारे पर छत्तीसगढ़ सरकार का सहारा लिया जा रहा है। गठबंधन के सभी विधायकों को अगले कुछ दिनों के लिए छत्तीसगढ़ शिफ्ट किया जाएगा, ताकि महाराष्ट्र की तरह गठबंधन विधायकों को तोड़ने की विपक्षी कवायद को रोका जा सके।

कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय इस बाबत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सम्पर्क में हैं। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने ”हिन्दुस्थान समाचार” से बातचीत में कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की साजिश रची गई है। उन्होंने कहा कि भाजपा की इस साजिश को अमल में लाने के लिये कांग्रेस के एक पूर्व नेता और झारखंड के पूर्व प्रभारी रहे एक नेता को जिम्मा सौंपा गया है।

कांग्रेस नेता ने हालांकि नाम नहीं लिया किंतु उनका इशारा आरपीएन सिंह की ओर था। सिंह ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को अलविदा कह भाजपा का दामन थाम लिया था। सिंह कांग्रेस में रहते हुए झारखंड के प्रभारी थे।

उल्लेखनीय है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ने पभ के पद के मामले में दोषी पाए जाने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश करते हुए अपनी रिपोर्ट राज्यपाल रमेश बैस को भेज दी है। राज्यपाल किसी भी वक़्त अपना फैसला सुना सकते हैं। ऐसे में सोरेन की कुर्सी पर खतरा मंडरा रहा है। विधानसभा की सदस्यता रद्द होने के बाद सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।

इन सारे पहलुओं को ध्यान में रखते सोरेन ने गत शुक्रवार और आज भी अपने आवास पर मंत्रिमंडल के सदस्यों और गठबंधन के नेताओं के साथ कई दौर की बैठक कर गहन विचार विमर्श किया। तत्तपश्चात, तय हुआ कि महागठबंधन के विधायकों को कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ भेजा जाए।

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