राजस्थान में शुक्रवार 26 अगस्त को छात्रसंघ के चुनाव होंगे। राजस्थान विश्वविद्यालय समेत प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव के लिए नामांकन वापसी के बाद तस्वीर साफ हो गई है। राजस्थान यूनिवर्सिटी समेत अन्य कॉलेजों ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। इसके साथ ही प्रत्याशियों ने डोर-टू-डोर कैम्पेन शुरू कर दिया है। प्रदेश की दो बड़ी यूनिवर्सिटी राजस्थान और जय नारायण व्यास में निर्दलीय और बागी एबीवीपी और एनएसयूआई का खेल बिगाड़ सकते हैं। जबकि, अजमेर की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी व उदयपुर की सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में सीधा मुकाबला है।
राजस्थान यूनिवर्सिटी में नामांकन वापसी के बाद अध्यक्ष पद के लिए छह उम्मीदवार मैदान में रह गए। एबीवीपी के नरेंद्र यादव, एनएसयूआई की रितू बराला, निर्दलीय निर्मल चौधरी, निहारिका जोरवाल, प्रताप भानू मीणा और हितेश्वर बैरवा इस पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं। उपाध्यक्ष पद पर छह उम्मीदवार हैं। इसी तरह महासचिव पद पर नौ और संयुक्त सचिव पद के लिए राजस्थान यूनिवर्सिटी में केवल दो ही प्रत्याशी मैदान में हैं। अजमेर की महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी में एनएसयूआई व एबीवीपी में सीधा मुकाबला है। एमडीएसयू में 1149 और संघटक कॉलेज सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (एसपीसीजीसीए) में 7133, जीजीसीए में 2648, डीएवी में 206 और लॉ कॉलेज में 449 वोटर हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर में सीधा मुकाबला है। यहां एबीवीपी के पैनल में महिपाल गोदारा अध्यक्ष, मुकेश मूंदलीया उपाध्यक्ष, अंकित शर्मा महासचिव, संस्कृति दाधीच संयुक्त सचिव तथा एनएसयूआई के पैनल में बस्तीराम अध्यक्ष, तारा गोरा उपाध्यक्ष, प्रदीप सिंह राठौड़ महासचिव, कार्तिक शर्मा सचिव पद के लिए चुनाव लड़ रहे हैं।
उदयपुर की मोहन लाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में दो डमी कैंडिडेट सूर्यभान सिंह सोलंकी ओर अर्पित कोठारी के नाम वापस लेने से अब यहां सीधा मुकाबला एनएसयूआई के देव सोनी और एबीवीपी के कुलदीप सिंह के बीच है। उपाध्यक्ष के लिए निखिल सेन ने नाम वापस ले लिया है। महासचिव और संयुक्त सचिव पद पर एबीवीपी और एनएसयूआई के बीच ही सीधा मुकाबला रहेगा। मीरा गर्ल्स कॉलेज में अध्यक्ष पद के लिए डिम्पल झाला ने मंगलवार को अपना नाम वापस नहीं लिया। इससे मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है। यहां एबीवीपी से किरण वैष्णव और एनएसयूआई से अंजली कटारा मैदान में हैं। वहीं भील प्रदेश विद्यार्थी मोर्चा से भी प्रत्याशी मैदान में है।
बीकानेर की महाराजा गंगा सिंह यूनिवर्सिटी के डूंगर कॉलेज में अब अध्यक्ष पद के लिए चार उम्मीदवार मैदान में हैं। इसमें कृष्ण कांत गोदारा, विकास, सुनील कुमार जाट और हरीराम गोदारा है। इसके अलावा उपाध्यक्ष पद के लिए तीन प्रत्याशी भरत सिंह, श्याम सुंदर बिश्नोई, सुखजिंद्र सिंह महासचिव के लिए सीधा मुकाबला है। यहां विशाल पंवार और श्रवण कुमावत के बीच मुकाबला है। संयुक्त सचिव के लिए यहां चार प्रत्याशी है। जिसमें बलराम सारण, रविंद्र बिश्नोई, विकास सेवग और सुरेंद्र गहलोत शामिल है। एमएस कॉलेज में अध्यक्ष पद के लिए साक्षी, रचना राइका, निरमा मेघवाल, निशा जनागल के बीच मुकाबला है। वहीं, उपाध्यक्ष के लिए रविना जाट, एकता, अंजना सारस्वत, महासचिव के लिए भव्या सोलंकी, लक्ष्मी पारीक, वर्षा पुरोहित, ज्योति चांवरिया, ऋतु गहलोत के बीच मुकाबला है।
जोधपुर की जय नारायण व्यास यूनिवर्सिटी में 26 अगस्त को होने वाले छात्र संघ चुनाव मे 18 हजार 154 स्टूडेंट वोट करेंगे। यहां आर्ट्स में 3919 मतदाता, कॉमर्स में 2768, साइंस में 2817, लॉ में 1521, कमला नेहरू महिला महाविद्यालय में 4688, सायंकालीन अध्ययन संस्थान में 1536 एवं शोध प्रतिनिधि के लिए 905 मतदाता अपने अधिकार का उपयोग करेंगे। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में अध्यक्ष पद के लिए अरविंद सिंह भाटी, हरेन्द्र चौधरी, राजवीर सिंह बांता, उपाध्यक्ष के लिए अक्षय मेघवाल, जय सिंह, निधि राजपुरोहित, ओमा राम देवासी, ओमा राम, प्रशांत शर्मा, सोमराज व सूर्य प्रकाश, महासचिव के लिए जितेन्द्र देवड़ा, नरेन्द्र विश्नोई, वत्सल परिहार एवं संयुक्त सचिव के लिए बाबूलाल, चिराग सिंह भाटी, दिनेश पंवार, मनोज प्रजापत, मुकेश, पुखराज विश्नोई मैदान में है।
एमबीएम यूनिवर्सिटी में अध्यक्ष पद के लिए चंद्रांशु खिडिया, धनश्याम सिंह, हेमंत चौधरी, महेन्द्र चौधरी, मनीष कुमार मीना, मानवेंद्र सिंह, उपाध्यक्ष के लिए दिव्यांशु सामरिया, वीरेंद्र सिंह, महासचिव के लिए आयुष गहलोत, दिव्यांश जाटोलिया, लक्षिता शर्मा, परमजीत सिंह चारण एवं संयुक्त महासचिव के लिए नेहा सोनी, रानू प्रतिहार, उदिता छकड़ा मैदान में है। कोटा यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव में नाम वापसी की समय सीमा खत्म होने के बाद स्थिति साफ हो गई है। ज्यादातर कॉलेजों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने ताल ठोक रखी है। कुछ जगहों पर तो निर्दलीय मजबूत स्थिति में है। कुछ जगह पर निर्दलीयों की वजह से समीकरण बदल गए है। यही कारण है कि इस बार यहां त्रिकोणीय संघर्ष रहेगा।