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बृजभूषण शरण अपराध स्वीकार करें तो जुर्माना लगाकर कार्यवाही समाप्त की जाए

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लखनऊ हाईकोर्ट

साथ ही कोर्ट ने इसी मामले में लोकसेवक के आदेश की अवहेलना के आरोप को निरस्त कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सांसद की याचिका पर दिया।

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया है कि अगर वह आत्मसमर्पण कर अपराध स्वीकार करते हैं तो उन्हें कारावास की सजा देने के बजाय जुर्माना लगाया जाए व कार्यवाही को समाप्त कर दिया जाए। साथ ही कोर्ट ने इसी मामले में लोकसेवक के आदेश की अवहेलना के आरोप को निरस्त कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सांसद की याचिका पर दिया।

याची के विरुद्ध गोंडा के कोतवाली नगर थाने में वर्ष 2014 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने धारा 144 का उल्लंघन करते हुए लोकसेवक के आदेश की अवहेलना की और सदोष अवरोध उत्पन्न किया। मामले में विवेचना के बाद पुलिस ने सांसद के खिलाफ  निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था।

इस पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम प्रथम गोंडा ने 22 जनवरी 2018 को बृजभूषण शरण सिंह को हाजिर होने के लिए समन आदेश जारी किया था। बृजभूषण ने आरोप पत्र व समन आदेश को चुनौती दी गई है। धारा 141 के तहत एक माह के कारावास अथवा पांच सौ रुपये जुर्माना अथवा दोनों की सजा को देखते हुए याची की ओर से प्रार्थना की गई कि वह 10 दिनों के भीतर संबधित अदालत के समक्ष हाजिर होकर अपराध स्वीकार कर लेगा।

 

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