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हर गलियों में गूंज उठा ”श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा…”

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श्रीकृष्ण जन्मोत्सव

बिहार के सांस्कृतिक राजधानी बेगूसराय की हर गलियां भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति रस डूब चुकी है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण जन्म समय की तरह भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी की रात रोहिणी नक्षत्र की शुभ वेला में बारिश की रिमझिम फुहारों के बीच ठीक 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म होते ही हर ओर ”नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की” गूंज उठा।

इसके साथ ही बेगूसराय में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा जन्माष्टमी मेला शुरू हो गया है। रात में 12 बजे बेगूसराय के 50 से अधिक पंडालों में श्रीकृष्ण पधार चुके हैं, कहीं उनके साथ राधा है तो कहीं मीरा। बंसी की धुन पर गोपियां हर जगह श्रीकृष्ण के बाल रूप से लेकर युवा स्वरूप तक साथ मौजूद है। श्रीकृष्ण जन्म उत्सव को लेकर जिले के तमाम इलाकों में जहां पंडाल बनाकर उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। वहीं, जिला भर के दो सौ से अधिक ठाकुरबाड़ी में भी खीरा के बीच से श्रीकृष्ण स्वरूप प्रकट होते ही पूरा इलाका शंख और घंटी की आवाज से गूंज उठा।

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर सबसे अधिक भीड़ तेघड़ा में रात से ही उमड़ी हुई है। जहां की 15 पंडालों में प्रतिमा सजाई गई है तथा यहां जन्म उत्सव मेला देखने के लिए देश के विभिन्न राज्य ही नहीं, कई विदेश से एनआरआई भी आ चुके हैं। तेघड़ा के अलावा मंसूरचक, बरौनी, गढ़हरा, बीहट, चकिया, सुशील नगर, सूजा, वीरपुर, वनद्वार, चेरिया बरियारपुर, मंझौल सहित विभिन्न जगहों पर मेला आयोजित की गई है। मेला में ना सिर्फ श्री कृष्ण की लीलाएं दिख रही है, बल्कि मनोरंजन के लिए झूला और मौत का कुआं सहित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है।

दूसरी ओर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर श्रीकृष्ण रूप में तैयार बच्चों का विभिन्न प्रकार का फोटो भी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें पूर्व की तरह सिर्फ बांसुरी बजाते कृष्ण ही नहीं दिख रहे हैं, बल्कि मोबाइल पर गेम खेलते और डांस करते आधुनिक श्रीकृष्ण का फोटो एवं वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है। उल्लेखनीय है कि बिहार के बेगूसराय में एशिया का दूसरा सबसे बड़ा और बिहार का सबसे बड़ा श्रीकृष्ण जन्म उत्सव मेला लगता है।

यहां के तेघड़ा में 1927 में चैतन्य महाप्रभु की कीर्तन मंडली द्वारा महामारी से बचाने के लिए लोगों से श्री कृष्ण जन्माष्टमी मनाने का आह्वान किया गया था जिसके पास 1928 से मेला लग रहा है और तेघड़ा जन्मोत्सव के लिए विश्व विख्यात हो चुका है। तेघड़ा के अलावा जिला मुख्यालय के समीप सुशील नगर में लगने वाला मेला शहर वासियों के आकर्षण का केंद्र है तो मंसूरचक का श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी अपने अद्भुत रूप को लेकर अलग मायने रखता है।

मंसूरचक में जन्माष्टमी 1992 से हर साल बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है। करोना महामारी को लेकर दो वर्ष मात्र सीमित दायरे में भक्तों ने अन्य पूजा अर्चना की थी। लेकिन इस बार बड़ी तैयारी के के साथ मेला की व्यापकता जो ऐतिहासिक मेला के रूप में इसे यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई है। अजन्मे के जन्म दर्शन का साक्षी बनने के लिए जिले एवं जिले के बाहर के हजारों लोग रात से ही मंडप में डटे रहे तथा जन्मोत्सव का आनंद ले रहे हैं। चौक-चौराहे को दुल्हन की तरह सजाया गया है, रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया मंडप आलौकिक छटा बिखेर रही है।

इधर, गढ़पुरा प्रखंड के लक्ष्मीपुर बेजहा में जन्माष्टमी मेला का उद्घाटन बखरी विधायक सूर्यकांत पासवान तथा मंझौल में आयोजित मेला का उद्घाटन चेरिया बरियारपुर विधायक राजवंशी महतो ने किया।

आशा खबर / शिखा यादव 

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