उत्तर प्रदेश के डिफेंस कॉरिडोर में तीन वर्षों में ब्रह्मोस मिसाइलें बनने लगेंगी। शुरुआत में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। पांच से सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। बता दें कि आजादी के अमृत महोत्सव के अपने संबोधन में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डिफेंस कॉरिडोर का जिक्र करते हुए कहा था कि इस कॉरिडोर के विकास से उत्तर प्रदेश राष्ट्र की सुरक्षा व्यवस्था और रक्षा उपकरणों के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
इस संबंध में पहल भी हो चुकी है। देश के दूसरे डिफेंस कॉरिडोर में अगले तीन साल में (2025 तक) अत्याधुनिक ब्रह्मोस मिसाइलों (ब्रह्मोस एनजी) का निर्माण होने लगेगा। शुरू में 100 से अधिक मिसाइलों के निर्माण का लक्ष्य रखा गया गया है। पांच से सात साल में 900 करोड़ रुपये की मिसाइलों के उत्पादन का लक्ष्य है।
इस बाबत डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और रशियन कंपनी एनपीओएम के बीच मेमोरंडम ऑफ अंडरटेकिंग (एमओयू) हो चुका है। ये कंपनियां शुरू में 300 करोड़ रुपये का निवेश करेंगी। इसके लिए कॉरिडोर के लखनऊ नोड में 80 एकड़ भूमि चिन्हित की गई है। 26 दिसंबर 2021 को इसका शिलान्यास भी हो चुका है।
डिफेंस कॉरिडोर परियोजना को गति मिले, इसमें निवेश करने वालों को पूंजी की दिक्कत न आए इसके लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा), स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, सिडबी, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा से एमओयू कर चुका है।
डिफेंस कॉरिडोर प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाने के सिलसिले में पांच फरवरी 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लखनऊ में डिफेंस एक्सपो का उद्घाटन किया था। इस आयोजन में 70 देशों की रक्षा उपकरणों के उत्पादन से जुड़ी करीब 1029 कंपनियों ने भाग लिया था। इसमें 172 कंपनियां विदेश की थीं। उस समय 22 एमओयू पर दस्तखत हुए थे। इसी वजह से उस समय इसे देश का सबसे बड़ा डिफेंस एक्सिबिशन प्लेटफॉर्म माना गया था। बाद में यूपीडीआईसी ने 2021 में एयरो इंडिया 2021 में भाग लिया था। उस आयोजन में रक्षा उपकरणों से जुड़ी 17 कंपनियों ने यूपीडा के साथ एमओयू पर दस्तखत किए थे। अब तक यूपीडा से कुल 93 कंपनियां एमओयू कर चुकी हैं। इससे 11256 करोड़ रुपये का निवेश आएगा। 30 कंपनियों को भूमि आवंटित की गई है, 27 को दी भी जा चुकी है।
डिफेंस कॉरिडोर में कुल छह (झांसी, चित्रकूट, कानपुर, अलीगढ़, लखनऊ और आगरा) नोड्स हैं। इकाई लगाने वालों के लिए अब तक करीब 1643 हेक्टेयर भूमि चिन्हित की जा चुकी है। इसमें से करीब 1600 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। निवेश के लिए कुल 93 एमओयू भी हो चुके हैं। इसमें से 72 इंडस्ट्रियल इकाइयों से और 21 संस्थाओं के साथ किए गए हैं। सर्वाधिक 35 एमओयू अलीगढ़ नोड्स के लिए हुए हैं। लखनऊ, कानपुर, झांसी और आगरा नोड्स के लिए क्रमशः 15, 12, 9 और 2 एमओयू हुए हैं।