रंग-बिरंगे फूलों के मोहक वंदनवार, रंगोलियों, दीपमालाओं और ध्वजा-पताकाओं से सजे मठ-मंदिरों से लेकर घरों तक की छटा बृहस्पतिवार की आधी रात बदल गई। मौका था बंशी बजइया कान्हा के जन्मोत्सव का। भादों की आधी रात रिमझिम फुहारों के बीच कृष्ण भक्तों का ज्वार उमड़ पड़ा। जन्मोत्सव के इस मौके को सोहर, मंगल गीतों, भजनों से संगीतमय बनाया गया।
संगमनगरी में कहीं गोवर्धन पर्वत उठाए कान्हा के दर्शन से भक्त निहाल हुए तो कहीं ग्वाल बालों के साथ राधा-कृष्ण के रास रचाने की। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी पर रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म होते ही बधाई बजने लगी। बलुआ घाट स्थित इस्कॉन मंदिर में रंग-बिरंगे फूलों, झालरों से भव्य झांकी सजाई गई। सूरज ढलने के बाद से ही मंदिर में झांकी दर्शन के लिए भक्तों का तांता लग गया।
मंत्रोच्चार के बीच श्रीकृष्ण भगवान का चांदी के कलश से महाभिषेक किया गया। फिर उन्हें 108 व्यंजनों का भोग अर्पित कर उसे प्रसाद भक्तों को बांटा गया। इस मौके पर स्वामी पूर्णकांतदास, नंदन दास, अद्वैत आचार्य दास समेत कई आचार्यों की मौजूदगी में जन्मोत्सव की धूम मची रही। रूप गौड़ीय मठ में नटवर नागर नंदा की झांकी देखने के लिए रात आठ बजे ही भीड़ लग गई।
इसी तरह सिविल लाइंस स्थित हनुमत निकेतन मंदिर में भी भव्य जन्मोत्सव मनाया गया। रूप गौड़ीय मठ में भी भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की नयनाभिराम झांकी सजाई गई। भक्तों ने भजन-कीर्तन के जरिए श्रीकृष्ण की महिमा का बखान किया। इसी तरह महाशक्तिपीठ मां कल्याणी देवी मंदिर परिसर स्थित श्रीराधाकृष्ण मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ शंखध्वनि, नगाड़े की गूंज के बीच श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया।
पुजारी श्यामजी पाठक ने प्रसाद वितरित किया। उधर, सिद्धपीठ भोलेगिरि मंदिर में जन्मोत्सव पर मोहक शृंगार कर पूजन किया गया। उधर, त्रिवेणी बांध स्थित देवरहा बाबा सेवाश्रम में डॉ रामेश्वर प्रपन्नाचार्य की देखरेख में बाल रूप कृष्ण का पंचामृत से स्नान कराकर पूजन किया गया। लूकरगंज स्थित श्रीकृष्णा भवन में भी सोमवार को जन्मोत्सव की यादगार झांकी कोविड प्रोटोकॉल में सजाई गई।
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आयोजन सचिव डॉ निखिल सक्सेना की मौजूदगी में भगवान कृष्ण की बाल लीला पर आधारित झांकियां सजाई गईं। रात 12 बजे आरती उतारी गई। इस मौके पर अरुण कुमार सक्सेना, शशि सक्सेना, अमित सक्सेना, नीतेश, आराध्या, निष्ठा समेत कई लोग मौजूद रहे। इसी तरह मीरापुर स्थित मां ललितादेवी के मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी मनाई गई। फूलों से शृंगार किया गया। इसी के साथ मंदिर में छह दिवसीय जन्मोत्सव आरंभ हो गया।
मेजा में धूमधाम से मनाई गई जन्माष्टमी
शुक्रवार को मेजा में जन्माष्टमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। जगह-जगह मंदिरों को भव्य रूप दिया गया था। मेजा थाने में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। इलाके के मेजिया, अंतरी अमिलिया, नेवढ़िया, मरहा, अखरी शाहपुर, चपरतला, विसहिजन कला, विसहिजन खुर्द, डेलौंहा, बंधवा सहित कई गांवों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। बंधवा गांव में स्थित शिव मंदिर को भव्य रूप दिया गया था।
इस दौरान संगम लाल शुक्ला, सच्चिदानंद शुक्ला, अशोक शुक्ला, डॉ. सुरेश चंद्र शुक्ला, विमलेश पांडेय, विंध्यवासिनी प्रसाद पांडेय, ज्ञान शंकर शुक्ल, व्यास मंगला प्रसाद शुक्ल, अवनीश शुक्ला, प्रदीप मिश्रा आदि मौजूद रहे। वहीं मेजा थाने पर आयोजित कार्यक्रम में तिवारी बंधुओं ने गीत प्रस्तुत किए। कार्यक्रम के आयोजक थानाध्यक्ष मेजा धीरेंद्र सिंह ने अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में सीओ मेजा अमिता सिंह, उप निरीक्षक अतुल मिश्र, सौरभ राय, अरविन्द चौबे, एसआई रामभवन आदि मौजूद रहे।
केंद्रीय कारागार में बंदियों ने मनाया कृष्ण जन्मोत्सव
कृष्ण जन्मोत्सव को लेकर केंद्रीय कारागार नैनी में बंद बंदियों के अंदर एक अजब से उत्साह देखने को मिला। बंदी जन्मोत्सव को लेकर कई दिनों से तैयारियां कर रहे थे। जेल प्रशासन के सहयोग बंदियों ने चक्र संख्या एक, दो और चार में श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ी कई आकर्षक झांकियां सजाई थी। जेल परिसर के अंदर रंगीन विद्युत झालरों के साथ दीपों से सजावट की गई थी। वहीं राधा कृष्ण की वेषभूषा में सजे बंदी आकर्षण का केंद्र रहे।
भगवान के जन्मोत्सव को लेकर शाम से ही भजन कीर्तन का क्रम शुरू हो गया था जो देर रात तक चलता रहा। जेल प्रशासन द्वारा प्रसाद की व्यवस्था कराई गई थी। वरिष्ठ जेल अधीक्षक पीएन पांडेय ने बताया कि जेल के अंदर बंदियों द्वारा बड़ी धूमधाम के साथ जन्मोत्सव मनाया गया। इसमें जेल प्रशासन का पूरा सहयोग रहा। झाकियां सजाने के साथ ही विद्युत झालरों व मिट्टी के दीयों से सजावट की गई थी।
जन्माष्टमी पर सजाई गईं झांकियां।