इस साल मौसम की बेरुखी ने पूरे जिले के किसानों की परेशानी बढ़ा दी है।खेतो में लगे धान के पौधे अब एक बार फिर सूखने लगे है।धान के खेतों में बड़़ी-बड़ी दरारे दिखने लगी है।विगत कई सप्ताह बीतने के बाद भी जिले मे माॅनसून की स्थिति कमजोर बनी हुई है।जिस कारण धान की फसल पर सूखे की साया मंडराने लगा है।
पिपरा कोठी कृषि विज्ञान केन्द्र के मौसम वैज्ञानिक डा.नेहा पारीक ने बताया कि जिले मे जुलाई माह मे समान्य वर्षापात 366 मिलीमीटर के अनुपात मे 172.2 मिलीमीटर रिकार्ड किया गया।जो समान्य से 53 प्रतिशत कम है।वही अगस्त माह मे अब तक समान्य वर्षापात 164.3 एमएम की तुलना मे महज 126.1 एमएम वर्षापात रिकार्ड किया गया।जो समान्य वर्षापात की तुलना मे 23 प्रतिशत कम है।ऐसे मे वर्षा आधारित खरीफ फसलो को भारी नुकसान होने अनुमान है।
कृषि विभाग की ओर से भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार जिले में 1लाख 83 हजार हेक्टेयर भूमि में धान आच्छादित किये जा चुके है लेकिन सबसे बड़ी बिडंबना तो यह है कि जिले मे स्थापित 645 राजकीय नलकूप में से लगभग 70 प्रतिशत बंद पड़े है।जबकि 30 प्रतिशत चालू बताये जा रहे नलकूपों में ज्यादातर की स्थिति जर्जर बनी हुई है।वही तिरहुत और गंडक नहर के ज्यादातर उपवितरणी मे भी पानी मयस्सर नही है।जिस कारण सूखे की संकट और गहरा होता दिख रहा है।वही किसानों की माने तो सरकार द्धारा घोषित डीजल अनुदान के लिए आवेदन प्रक्रिया कई जटिलताओ से परिपूर्ण है।ऐसे मे जिले मे किसानो की परेशानी बढ़ती दिख रही है।
आशा खबर/ रेशमा सिंह पटेल