राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि आत्मा के बारे में अधिकतम जानने का प्रयास करना ही अध्यात्म है। व्यक्ति जब अंतर्मुखी होकर चिन्तन करता है, तो सकारात्मकता का निर्माण होता है और नकारात्मक विचार स्वयं दूर हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिक चिंतन से व्यक्ति की संकल्प शक्ति बढ़ती है और वह जनकल्याण के लिए प्रवृत्त होता है।
राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को यहां राजभवन में प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजयोग शैक्षिक एवं शोध फाउण्डेशन की ओर से ‘प्रशासनिक उत्कृष्टता के लिए आध्यात्मिकता’ अभियान के शुभारम्भ अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नैतिक मूल्यों का पालन करना ही धर्म का लक्षण है। व्यक्ति को अपने कार्यक्षेत्र और पारिवारिक जीवन में नैतिकता और आध्यात्मिकता के मार्ग पर चलना चाहिए। इससे न केवल उसके स्वयं के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है, बल्कि दूसरों को भी परोक्ष रूप में नैतिक मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।
राज्यपाल ने कहा कि भारतीय संस्कृति की मूल भावना वसुधैव कुटुम्बकम में निहित है और इसमें पृथ्वी पर रहने वाले मनुष्य ही नहीं समस्त जीव-जन्तु, पेड़-पौधों को भी अपने परिवार का भाग माना गया है। इसमें प्राकृतिक संतुलन का अनुपम संदेश समाहित है। कार्यक्रम के आरम्भ में राज्यपाल ने उपस्थितजनों को संविधान की उद्देश्यिका और मूल कर्तव्यों का वाचन करवाया।
ओम शांति रिट्रीट सेंटर की निदेशक राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी आशा दीदी ने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी आध्यात्मिकता के माध्यम से अपनी आंतरिक ऊर्जा के स्रोत को जाग्रत कर अपने कार्य को नए आयाम दे सकते हैं। उन्होंने उपस्थित अधिकारियों को ध्यान का नियमित अभ्यास करने का सुझाव दिया ताकि वे प्रेम, करुणा और सहानुभूति के साथ अपने दायित्व का निर्वहन कर सकें।
ब्रह्माकुमारी पूनम दीदी, ब्रह्माकुमार हरीश भाई ने प्रशासनिक अधिकारियों और प्रबंधकों में आध्यात्मिक चेतना के जागरण के लिए शुरू किए गए इस अभियान के बारे में जानकारी दी।