पावर ऑफिसर एसोसिएशन के समर्थन में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2022 के विरोध में सोमवार को प्रदेश के आरक्षण समर्थक कार्मिकों ने काली पट्टी बांधकर अपने-अपने विभागों में विरोध किया। कार्मिकों ने मांग उठाई कि केन्द्र सरकार इस बिल को वापस ले। जल्दबाजी में लिया गया निर्णय लोगों के लिए नुकसानदायक होगा, इससे नौकरियों पर भी असर पड़ेगा।
उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष व आरक्षण बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार द्वारा जल्दबाजी में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल को लोकसभा के पटल पर रखा गया। उसे देख ऐसा प्रतीत होता है कि जैसे विदेशी कोयला खरीद की जल्दबाजी की गई। यहां भी वहीं जल्दबाजी दिखाई गई है जैसे केंद्र सरकार ने विदेशी कोयले के मामले में पलटी मारी थी।
पावर ऑफिसर एसोसिएशन के कार्यवाहक अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा, उपाध्यक्ष पीएम प्रभाकर, महासचिव अनिल कुमार, सचिव आरपी केन, अतिरिक्त महासचिव अजय कुमार ने संयुक्त रूप से कहा कि एसोसिएशन सभी बिजली कंपनियों में अपने दलित व पिछड़े वर्ग के कार्मिकों को जागरूक करके उन्हें इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के बारे में पूरी जानकारी देगा। उन्हें बताएगा कि किस प्रकार केंद्र की मोदी सरकार इस बिल को पास करा कर ऊर्जा क्षेत्र में निजीकरण को बढ़ावा देने वाली है। आज जिस प्रकार से लोकसभा में देश के ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने इस बिल की सराहना की वह पूरी तरीके से गलत है। केंद्र की मोदी सरकार इस बिल के सहारे केंद्र सरकार के अधिकार को बढ़ाकर राज्य सरकार के अधिकारों वह राज्य नियामक आयोग के अधिकारों को छीनना चाहती है, जो किसी भी प्रकार से ऊर्जा क्षेत्र के हित में नहीं है। ऐसे में इस बिल का विरोध तब तक जारी रहेगा, जब तक केंद्र की मोदी सरकार इस बिल को वापस लेने पर विचार नहीं करती।
आशा खबर / शिखा यादव