समाज के कल्याण के लिए होनी चाहिए साहित्य की रचना
राजधानी लखनऊ स्थित बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान विद्यापीठ के सभागार में शनिवार को अखिल भारतीय साहित्य परिषद का प्रान्तीय कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग का आयोजन किया गया। कार्यकर्ता प्रशिक्षण वर्ग का शुभारम्भ साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने दीप जलाकर किया।
कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर ने कहा कि कार्यकर्तााओं के परिश्रम से ही साहित्य परिषद बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि मनुष्य के संरक्षण व संवर्धन के लिए साहित्य की रचना होनी चाहिए। साहित्य के द्वारा मनुष्य को संस्कार देने का काम होना चाहिए।
हमारा अधिष्ठान विषय पर बोलते हुए श्रीधर पराड़कर ने कहा कि कोई विचार कितना भी अच्छा क्यों न हो लेकिन अगर उस विचार को मानने वाले नहीं होंगे तो उसका कोई मतलब नहीं है। अपनी विचारधारा को मन से अनुकरण करने वाले और उस विचार का प्रचार प्रसार करने वाले लोग चाहिए।
उन्होंने बताया कि हिन्दुओं को ईसाईयों से बचाने का काम ब्रह्म समाज ने किया था। आर्य समाज ने भी समाज जागरण के लिए बहुत से कार्य किये लेकिन आज इन संस्थाओं का वजदू संकट में है।
साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संयुक्त महामंत्री डा. पवन पुत्र बादल ने कहा कि संगठन को आगे बढ़ाने के लिए हमें कार्यकर्ता की आवश्यकता होती है। यहां उपस्थित लोग साहित्यकार के साथ-साथ कार्यकर्ता भी हैं। इसलिए हमें कार्यकर्ता का भाव और संगठन के विचार को लेकर चलना है।
पवन पुत्र बादल ने कहा कि परिवार की मूल भावना संगठन के अधिष्ठान में हैं। परिवार भाव से संगठन के ध्येय की पूर्ति के लिए जो भी करना होगा वह करेंगे।
उन्होंने कहा कि संगठन का कार्य करते समय यह ध्यान हमेशा रखना चाहिए कि हमारे कार्य व्यवहार के कारण किसी कार्यकर्ता के मन को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए। किसी विषय पर हमारा मतभेद हो सकता है लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए।
कार्यकर्ता निर्माण विषय पर बोलते हुए डा. पवन पुत्र बादल ने अभिरूचि के अनुसार कार्यकर्ताओं की पहचान, कार्य विस्तार व संगठन कार्य करते समय बरती जाने वाली सावधानियों के बारे में बताया।
आशा खबर /रेशमा सिंह पटेल