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ऑपरेशन भिक्षा नहीं शिक्षा दो की हुई पुनः शुरूआत

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भिक्षावृत्ति करते बच्चे के साथ पुलिसकर्मी

दो वर्ष पहले प्रारंभ हुए ऑपरेशन मुक्ति-भिक्षा नहीं शिक्षा दो की सोमवार को उत्तराखंड पुलिस की हरिद्वार इकाई ने तीसरे वर्ष सोमवार को विधिवत शुरुआत की।

1 अगस्त से 30 सितंबर अब चलने वाले इस ऑपरेशन की कमान पुलिस क्षेत्राधिकारी सदर निहारिका सेमवाल को सौंपी गई है। इस ऑपरेशन का उद्देश्य भीख मांगने वाले छोटे-छोटे बच्चों की भिक्षा वृत्ति छुड़ाकर उन्हें शिक्षा देने के लिए स्कूल भेजना है। इस अभियान की सफलता के लिये स्थानीय पुलिस सामाजिक संस्थाओं का सहयोग भी लेगी।

ऑपरेशन मुक्ति के पहले चरण में बच्चों के सत्यापन के कार्य के साथ उन्हें व उनके माता पिता को शिक्षा प्रदान करने के लिए परामर्श व मार्गदर्शन दिया जाएगा। हरिद्वार पुलिस की इस पहल के चलते पिछले 2 वर्षों में 200 से अधिक बच्चों को विभिन्न स्कूलों और आंगनबाड़ी में दाखिला मिल चुका है।अब तीसरे वर्ष धर्मनगरी हरिद्वार से बाल भिक्षा के इस रोग को खत्म कर सड़क पर भिक्षा मांगने वाले बच्चों को शिक्षा की ओर ले जाकर उनको उज्ज्वल भविष्य प्रदान करने की मुहिम शुरू की गई है। हरिद्वार में हर की पैड़ी भगत सिंह चौक, प्रेम नगर आश्रम के पुल पर, ऋषिकुल तिराहे तथा रानीपुर मोड़ पर बहुत से 6 साल से लेकर 15 साल तक के बच्चे भीख मांगते और गुब्बारे तथा अन्य सामान बेचते दिखाई देते हैं।

इन बच्चों को भिक्षावृत्ति और बाल श्रम से बचाकर शिक्षा देने के इस अभियान में आम जन मानस का सहयोग भी आवश्यक है। 18 साल से छोटे बच्चे से काम लेना जहां अपराध है वहीं छोटे बच्चों को भिक्षा देना भी नैतिक अपराध है। लोग छोटे बच्चों को भिक्षा देकर समाज में एक बड़ी बीमारी को बढ़ावा देते हैं। निहारिका सेमवाल ने बताया कि 15 दिवस के सत्यापन कार्य के बाद चिन्हित बच्चों के दाखिले कराने की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी यह अभियान सितंबर तक चलेगा समाज के भिक्षावृत्ति को रोकने के लिए जन जागरण अभियान भी चलाया जाएगा।

आशा खबर / शिखा यादव 

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