शिंदे समूह के विधायकों की ओर से आरोप लगाया गया है कि पिछली सरकार ने नक्सलवादियों की धमकी के बाद भी एकनाथ शिंदे को सुरक्षा नहीं दी थी। शनिवार को पूर्व गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने इस तरह के आरोप को तथ्यहीन बताया है।
पाटिल ने शनिवार को कहा कि एकनाथ शिंदे को नक्सलवादियों से मिली धमकी के बाद जेड स्तर की सुरक्षा उपलब्ध करवाई गई थी। इतना ही नहीं इस धमकी के बाद मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री की भी सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई थी। साथ ही एकनाथ शिंदे को गढ़चिरौली जिले का पालकमंत्री होने की वजह से अतिरिक्त पुलिस सुरक्षा मुहैया करवाई गई थी।
शिंदे समूह के विधायक सुहास कांदे ने शुक्रवार को आरोप लगाया था कि पिछली सरकार में एकनाथ शिंदे को नक्सलवादियों की धमकी के बाद भी सुरक्षा नहीं दी गई थी। धमकी के बाद मंत्री समूह की बैठक में सुरक्षा बढ़ाना तय किया गया था, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कहने पर शिंदे को सुरक्षा नहीं दी थी।
पूर्व गृह राज्य मंत्री शंभूराजे देसाई ने कहा था कि उन्होंने एकनाथ शिंदे को अतिरिक्त सुरक्षा दिए जाने के लिए पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की थी, लेकिन इसके बाद उद्धव ठाकरे ने उन्हें फोन पर कहा कि अतिरिक्त सुरक्षा की जरूरत नहीं। इस बात का समर्थन पूर्व मंत्री दादा भूसे भी कर चुके हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शनिवार को कहा कि उन्हें गढ़चिरौली का पालक मंत्री रहने पर नक्सलवादियों से कई बार धमकी मिली थी, लेकिन वे कभी भी इस तरह की धमकी से नहीं डरे थे। इस बारे में जो कहना है वह शंभू राजे देसाई कह रहे हैं, उन्हें कुछ नहीं कहना है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि एकनाथ शिंदे को नक्सलवादियों की धमकी मिलने के बाद तत्कालीन गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल से उन्होंने खुद बात की थी। उस समय ही दिलीप वलसे पाटिल ने उनसे कहा था कि एकनाथ शिंदे को जेड स्तर की सुरक्षा दी गई है। इतना ही नहीं गढ़चिरौली का पालक होने के नाते एकनाथ शिंदे को अतिरिक्त सुरक्षा दी गई। पवार ने कहा कि एकनाथ शिंदे को तब भी जेड स्तर की सुरक्षा थी और आज भी है। उन्होंने कहा कि उनके राजनीतिक जीवन में कभी भी इस तरह सुरक्षा के नाम पर राजनीति करने का प्रयास कभी नहीं किया गया।