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विस्तार गोरखपुर के नजदीक और नेपाल बाॅर्डर तक फैला महाराजगंज कभी चीनी का कटोरा कहा जाता था। आज कटोरे से चीनी खाली है, क्योंकि मिलें बंद हो चुकी हैं। इस लोकसभा सीट के दायरे में आने वाली पांचों विधानसभा क्षेत्रों में चुनावी प्रचार सोशल मीडिया के बजाय सड़क पर दिखाई दिया। वही शोर, वैसे ही झंडे लगी दौड़तीं गाड़ियां और समर्थकों का हुजूम…इस सबने 10-15 साल पहले के माहौल की याद दिला दी। इसकी वजह है-पिछड़ापन। हालांकि युवा पीढ़ी रील बनाने में माहिर है। Trending Videos नौतनवा के नजदीक जंगलों के बीच सड़क के किनारे पांच युवा रील बना रहे थे। क्या चल रहा है, इस सवाल पर राकेश नाम का युवा नजदीक आया और बोला, छुट्टी चल रही है। रील बनाकर पैसे कमाएंगे। पैसे कैसे मिलेंगे? जवाब मिला, जैसे सभी को मिलते हैं। बात आगे बढ़ाते हुए कहा, 300 से ज्यादा युवा यहां यही कर रहे हैं। कोई नौकरी देता नहीं। अगले साल नौकरी के लिए दिल्ली जाएंगे। ये पूछने पर कि चुनाव में किसका पलड़ा भारी है, साथ मे खड़े बबलू ने कहा कि चौधरी जी को चौधरी ने ही फंसा दिया है। इशारा साफ था कि छह बार के सांसद पंकज चौधरी की राह इस बार आसान नहीं है। इसी तरह की प्रतिक्रिया कमोबेश पांचों विधानसभा क्षेत्रों में देखने को मिली। खास बात है कि भाजपा को लेकर लोगों में नाराजगी नहीं थी। बदलती गई हवा… चुनाव के हर चरण के साथ इस लोकसभा सीट पर तस्वीर बदलती गई। कांग्रेस से गठबंधन प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी ने जब नामांकन किया था, तब दौड़ में नहीं थे। बसपा के मौसमे आलम भी मशक्कत कर रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे माहौल बदल गया। कल तक जीत तय मानकर चल रहे पंकज चौधरी को मैदान में पूरी तैयारी से उतरना पड़ा। दरअसल भाजपा-कांग्रेस दोनों के ही प्रत्याशी ओबीसी हैं। पंकज के पास भाजपा के परंपरागत और बिरादरी के वोट के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी व मुख्यमंत्री योगी का काम है। वहीं, वीरेंद्र चौधरी को बिरादरी के अलावा मुस्लिम वोट और ओबीसी का सहारा है। मौसमे आलम को बसपा के काडर वोटों के साथ मुस्लिम वोट का भरोसा है। विज्ञापन इस बार के योद्धा पंकज चौधरी, भाजपा राजनीतिक सफर गोरखपुर नगर निगम से शुरू हुआ। डिप्टी मेयर भी बने। वर्ष 1991 की रामलहर में महराजगंज से चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने। तब से छह बार संसद पहुंच चुके हैं। हालांकि दो बार इनको हार का झटका भी लगा। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री हैं। विज्ञापन वीरेंद्र चौधरी, कांग्रेस वीरेंद्र फरेंदा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक हैं। 47 वर्षीय चौधरी ने विधानसभा चुनाव-2022 में कांटे की टक्कर में केवल 1087 वोटों से बीजेपी उम्मीदवार बजरंग बहादुर सिंह को हराया था। मौसमे आलम, बसपा पेशे से कारोबारी मौसमे आलम पहली बार 2022 चुनाव में पनियारा विधानसभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतरे, लेकिन पर्चा खारिज हो गया। इस बार बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव के मैदान में हैं। प्रत्याशी की जनता के बीच उपलब्धता बनी सवाल महाराजगंज के लोगों की अपेक्षाएं कम हैं। प्रत्याशी से भावनात्मक लगाव रखते हैं। उनका मानना है कि जिताया है तो सुख-दुख में हालचाल तो ले लो। परतावल से लेकर उदितपुर तक बातचीत में लोगों का कहना था कि छह बार चौधरी जी को जिताए हैं। इस बार के सवाल पर चुप्पी साध जाते हैं। पनियारा में सड़क किनारे आम के पेड़ की छांव में बैठे मिले रामदीन, सुक्खू और रतनमणि ने कहा कि इसी वजह से पंकज चौधरी 1991, 1996 और 1998 में लगातार जीतने के बाद 1999 में सपा के कुंवर अखिलेश सिंह से हार गए थे। फिर उन्हें 2004 के चुनाव में जिताकर संसद पहुंचाया, लेकिन 2009 में कांग्रेस के हर्षवर्धन से मात खा गए। सक्रिय हो गए तो वर्ष 2014 और वर्ष 2019 में लगातार चुनाव जीते। फरेंदा से नौतनवा के बीच का हाईवे छह लेन का हो रहा है। किनारे के सैकड़ों मकान-दुकान टूट गए। लोगों का कहना था कि मुआवजा नाममात्र का मिला। हम गरीब लोग हैं। सांसद केवल हमारा हालचाल लेने आ जाते तो कुछ घाव भर जाते। चीनी मिलों की तालाबंदी भी मुद्दा है। विकास पर भी चर्चा इस बेल्ट में ज्यादातर लोगों का मानना है कि भाजपा देशहित में काम करती है। मोदी-योगी भी अच्छा काम कर रहे हैं। विकास हुआ है। नौतनवां में मिले करण सिंह ने कहा कि पहले सड़क से दो फुट नीचे चलते थे। आज सड़कें शानदार हैं। जिले में हुए निवेशक सम्मेलन के माध्यम से 170 निवेशकों ने 2100 करोड़ की लागत से इकाइयों को स्थापित करने के लिए अनुबंध किया था। दिलचस्प है इस बार की चुनावी जंग महराजगंज में कुर्मी वोटरों की अच्छी-खासी तादाद है। पिछड़ी जाति के ये वोटर पूर्व में छिटके हुए थे। 1991 में पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनावी जंग में उतरे कुर्मी बिरादरी के पंकज चौधरी सजातीय मतदाताओं को अपने पक्ष में गोलबंद करने में कामयाब हुए। करीब दो लाख वैश्य वोटर और पांच लाख सवर्ण वोटरों में भाजपा समर्थक आधे से अधिक वोटरों का योगदान पंकज चौधरी की जीत की वजह बनता आ रहा है।

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Kedarnath Dham news Emergency landing of helicopter in Kedarnath, pilgrims narrowly escaped.
उत्तराखंड में बड़ा हादसा टल गया। केदारनाथ धाम में हेलिकॉप्टर पायलट की सूझबूझ से यह हादसा होने से बचा। केदारनाथ धाम में यात्रियों से भरे हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग हुई है।

जानकारी मिली है कि क्रिस्टल के हेलिकॉप्टर का रूडल खराब हो गया। पायलट ने सूझबूझ दिखाते हुए हेलिकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिग कराई। हेलीकॉप्टर के सुरक्षित लैंड के बाद तीर्थ यात्रियों ने राहत की सांस ली। केदारनाथ में हेलिकॉप्टर सेवा हमेशा से ही जोखिमभरी रही है। बीते 11 वर्षों में केदारनाथ में 10 हादसे हो चुके हैं।

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