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न कारणों से हो सकता है अस्थमा का अटैक, डॉक्टर ने बताए बचाव के जरूरी उपाय

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अस्थमा, वायुमार्ग और फेफड़ों को प्रभावित करने वाली समस्या है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में अस्थमा रोगियों की संख्या बढ़ती हुई देखी जा रही है। एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर में अस्थमा से होने वाली 46% मौतें अकेले भारत से रिपोर्ट की जा रही हैं।

अस्थमा की समस्या में आपके फेफड़ों से हवा को अंदर और बाहर ले जाने वाली नलिकाएं प्रभावित हो जाती हैं। वायुमार्ग में सूजन और संकुचन के कारण दर्द होने, सांस छोड़ते समय आवाज आने जैसी समस्या हो सकती है।

अस्थमा रोग के बारे में लोगों को जागरूक करने और इससे बचाव के तरीकों को लेकर शिक्षित करने के उद्देश्य से हर साल मई माह के पहले मंगलवार को वर्ल्ड अस्थमा डे मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है उन्हें इसको ट्रिगर करने वाले कारकों से बचाव के लिए उपाय करते रहना चाहिए।

अस्थमा की समस्या और इसके जोखिम कारक

श्वसन रोगों के विशेषज्ञ डॉ निहाल सिंह बताते हैं, अस्थमा में सांस लेने में कठिनाई और घरघराहट की दिक्कत बनी रहती है। ये श्वसन की सामान्य कार्यप्रणाली को भी बाधित कर सकती है। प्रदूषण में वृद्धि, जीवनशैली में बदलाव और कई अन्य कारक अस्थमा अटैक का कारण बन सकते हैं।

डॉ कहते हैं इसके ट्रिगर्स को समझने और उनसे बचाव को लेकर उपाय करने से अस्थमा के लक्षणों को बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है। जिन लोगों को अस्थमा की समस्या है उन्हें इसको ट्रिगर करने वाले कारकों के बारे में जानना जरूरी है।

धूल और प्रदूषकों से करें बचाव

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया एलर्जी के कारक जैसे पराग और धूल के कण, पालतू जानवरों की बाल और फफूंद जैसी चीजें शरीर में प्रतिक्रिया पैदा कर सकती हैं। इससे वायुमार्ग में सूजन और संकुचन बढ़ने का खतरा रहता है जिससे अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए समस्याएं बढ़ सकती हैं। अस्थमा के शिकार लोगों को इन चीजों से बचाव करते रहना चाहिए। बाहर जाते समय मास्क पहनना इन कारकों से बचाव का सबसे कारगर तरीका हो सकता है।

वायरल संक्रमण से भी बढ़ सकती है दिक्कत

सर्दी या फ्लू जैसे वायरल संक्रमण की स्थिति भी पहले से ही संवेदनशील वायुमार्ग को और अधिक प्रभावित कर सकते है, जिससे अस्थमा के लक्षणों के बढ़ने का खतरा हो सकता है। अस्थमा के रोगियों को वायरल संक्रमण से बचाव करते रहना जरूरी है। विशेषतौर पर मौसम में बदलाव जैसे ठंडी हवा, नमी या अचानक तापमान में बदलाव के कारण भी आपके वायुमार्ग की दिक्कतें बढ़ सकती हैं जिससे अस्थमा अटैक होने का जोखिम रहता है।

अस्थमा का प्रबंधन जरूरी

डॉक्टर कहते हैं, अस्थमा को प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए इसके ट्रिगर्स को समझने और उनसे बचने करना जरूरी है। अस्थमा के रोगियों को इनहेल्ड कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स जैसी दवाएं दी जाती हैं इन्हें हमेशा अपने पास रखें। वायुमार्ग में होने वाले सूजन को कम करने और लक्षणों को बिगड़ने से रोकने के लिए ये महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, शारीरिक गतिविधि, संतुलित आहार और सांस लेने के अभ्यास की मदद से अपने स्वास्थ्य को ठीक बनाए रखने में मदद मिल सकती है।

नोट: यह लेख मेडिकल रिपोर्टस से एकत्रित जानकारियों के आधार पर तैयार किया गया है।

अस्वीकरण: अमर उजाला की हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं को अमर उजाला के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। अमर उजाला लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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