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‘अगर जनगणना, परिसीमन नहीं हुआ तो महिला आरक्षण का क्या होगा’, कपिल सिब्बल ने उठाए ये सवाल

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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि भाजपा 2024 में राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, इसलिए महिलाओं को बताया जा रहा है कि उन्होंने ऐतिहासिक काम किया है। जबकि उन्हें यह काम 2014 में करना चाहिए था।

Kapil Sibal raises questions on Womens Reservation Bill and its implementation after census, delimitation

पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने मोदी सरकार द्वारा लोकसभा में पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक पर सवाल उठाए हैं और इसे राजनीतिक कदम करार दिया है। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा 2024 में इसका राजनीतिक फायदा लेना चाहती है, तो उसे 2014 में महिला आरक्षण विधेयक पेश करना चाहिए था, जब वह केंद्र की सत्ता में आई थी। क्योंकि विधेयक को लागू करने से पहले जनगणना और परिसीमन करना होगा।

सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कहा कि भाजपा 2024 में राजनीतिक लाभ लेना चाहती है, इसलिए महिलाओं को बता रही है कि उन्होंने ऐतिहासिक काम किया है। उन्हें यह काम 2014 में करना चाहिए था। इसमें ऐतिहासिक क्या है? महिला आरक्षण लागू होने से पहले जनगणना और परिसीमन होगा। अगर समय पर जनगणना और परिसीमन नहीं हुआ तो क्या होगा? कपिल सिब्बल ने कहा, “वे (भाजपा सरकार) महिलाओं को सिर्फ सपने दिखा रहे हैं कि उन्हें 2029 में आरक्षण मिलेगा…उन्हें राजनीति के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा है।”

अनुराग ठाकुर का सिब्बल पर पलटवार
वहीं, सिब्बल के दावे पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि महिला आरक्षण विधेयक के मसौदे के समय कपिल सिब्बल कानून मंत्री थे। इसे पहले 2008 में पेश किया गया था और वह जानते हैं कि तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने कभी भी इस विधेयक को पारित करने का इरादा नहीं किया था। ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस 2010 में जब सत्ता में थी, तब भी महिला नेताओं को आरक्षण नहीं देना चाहती थी और अब भी ऐसा करना चाहती है। भाजपा नेता ने कहा, “कांग्रेस ने न तो इंदिरा गांधी के नेतृत्व में महिलाओं को आरक्षण दिया और न ही सोनिया गांधी के नेतृत्व में उस दिशा में कोई ठोस कदम उठाया। न तो (जवाहरलाल) नेहरू जी और न ही राजीव गांधी के नेतृत्व में महिलाओं को आरक्षण देने का प्रावधान किया गया था।

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मंगलवार को नए संसद भवन में लोकसभा की पहली बैठक में महिला आरक्षण से संबंधित विधेयक पेश किया। इस बिल का नाम नारी शक्ति वंदन अधिनियम रखा गया है। विधेयक पेश करते हुए मंत्री ने कहा कि यह विधेयक महिला सशक्तिकरण के संबंध में है। संविधान के अनुच्छेद 239एए में संशोधन करके, लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटें आरक्षित की जाएंगी। मेघवाल ने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित होने के बाद लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या 181 हो जाएगी।

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